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जब तक बाबा बागनाथ की दिव्य ज्योति नहीं जाती लखनऊ, यहां नहीं शुरू होता ये काम, बेहद खास है मान्यता

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Agency:Bharat.one Uttarakhand

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Bageshwar: बागेश्वर के बाबा बागनाथ पर केवल यहीं के लोग नहीं बल्कि दूसरे जिलों और शहरों के लिए भी गहरी आस्था रखते हैं. यही कारण है कि जब यहां से दिव्य ज्योति लखनऊ पहुंचती है तो वहां उत्तरयणी मेले की शुरुआत होती …और पढ़ें

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बागनाथ मंदिर से दिव्य ज्योति ले जाते लखनऊ के सदस्य 

बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर में बाबा बागनाथ अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए देशभर में प्रचलित हैं. मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं भक्तों की ओर से बखूबी निभाई जाती हैं. बागेश्वर ही नहीं बल्कि अन्य जिलों और शहरों के लोग भी बाबा बागनाथ में गहरी आस्था रखते हैं. ठीक इसी प्रकार लखनऊ में होने वाले उत्तरायणी मेले के शुभारंभ के लिए बाबा बागनाथ मंदिर से दिव्य ज्योति जाती है. दिव्य ज्योति साल 2015 से लखनऊ ले जाई जाती रही है.

कैसे जाती है लखनऊ
इसमें पर्वतीय महापरिषद समिति के सदस्य बागेश्वर आकर ज्योति को शीशे के बॉक्स में लखनऊ लेकर जाते हैं. लखनऊ में मेले के शुरुआती दिन से दिव्य ज्योति से अखंड ज्योति जलाई जाती है. मेला समापन तक ज्योति जली रहती है. दिव्य ज्योति को लखनऊ में रहने वाले उत्तराखंडी लोग बाबा बागनाथ का आशीर्वाद मानते हैं. लखनऊ के उत्तरायणी मेले में उत्तराखंड की संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों का प्रचार-प्रसार करते हैं.

यहां भी होता है मेला
बागेश्वर में बाबा बागनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी नंदन रावल ने Bharat.one को बताया कि उत्तराखंड के जो उत्तराखंडी भाई-बहन लोग लखनऊ में रहते हैं. वह भी बागेश्वर की तरह ही लखनऊ में उत्तरायणी मेला मनाते हैं. मेले से पहले वे लोग बाबा बागनाथ मंदिर की दिव्य ज्योति से अपनी अखंड ज्योति जलाते हैं. दिव्य ज्योति को लेने लखनऊ से इस बार दो सदस्य आए थे. दिव्य ज्योति ले जाने के एक-दो दिन पहले वे बागेश्वर पहुंच जाते हैं.

यहां शुभ मुहूर्त देखकर त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं. बाबा बागनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं. इसके बाद विधि-विधान के साथ मंदिर के पुजारी उन्हें दिव्य ज्योति से ज्योति जलाकर देते हैं. इस दिव्य ज्योति को शीशे के बॉक्स में रखा जाता है. बागेश्वर से काठगोदाम हल्द्वानी तक ज्योति को कार से लेकर जाया जाता है. काठगोदाम से ट्रेन में दिव्य ज्योति लखनऊ पहुंचती है.

ज्योति पहुंचने के बाद शुरू होता है मेला
लखनऊ पहुंचने के बाद गोमती नदी के किनारे उत्तरायणी मेला शुरू होता है. मेले में जलने वाली अखंड ज्योति को बाबा बागनाथ की दिव्य ज्योति से जलाया जाता है. इस साल यह दिव्य ज्योति 23 जनवरी तक जली रहेगी. लखनऊ में रहने वाले उत्तराखंड के स्थानीय लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें बाबा बागनाथ का आशीर्वाद मिलता है.

इस मान्यता को निभाकर भक्त लखनऊ में गोमती तट पर बाबा बागनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. क्योंकि उत्तराखंड के लोगों में बाबा बागनाथ की अपार शक्ति होती है. साथ ही उत्तरायणी मेले के सफल आयोजन के लिए वे लोग बाबा बागनाथ की दिव्य ज्योति से आशीर्वाद लेते हैं.

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