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Bokaro News: बोकारो का यह मंदिर एक प्राचीन और श्रद्धा का केंद्र है, जहां अविवाहितों को सच्चे मन से पूजा करने पर मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होने की मान्यता है. चास स्थित इस मंदिर का इतिहास लगभग 200 साल पुराना है और…और पढ़ें
चास बूढ़ा बाबा मंदिर की तस्वीर
हाइलाइट्स
- बोकारो का बूढ़ा बाबा मंदिर 200 साल पुराना है.
- सच्चे मन से पूजा करने पर मिलता है मनचाहा जीवनसाथी.
- शिवरात्रि पर मंदिर में भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है.
बोकारो. बोकारो जिले के चास में स्थित बूढ़ा बाबा मंदिर प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है, जहां शिवरात्रि, सावन मास और प्रत्येक सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. यह मंदिर चासवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है, जहां श्रद्धालुओं का मानना है कि सच्चे मन से पूजा करने पर मनचाहा वर या वधू कि प्राप्ती होती है.
मंदिर के पुजारी विजय शास्त्री ने Bharat.one को बताया कि यह मंदिर का इतिहास लगभग 200 वर्षों से अधिक पुराना है और यहां विराजमान शिवलिंग स्वयंभू शंकर है, यानी भगवान शिव स्वयं यहां प्रकट हुए थे. इस मंदिर में बीते कई वर्षों से पूजा-अर्चना होती आ रही है, और करीब 80 साल पहले यहां एक पक्के मंदिर का निर्माण किया गया था.
बाद में, वर्ष 2012 में इसका जीर्णोद्धार किया गया, जिसमें पांच मंदिर बनाए गए. इसमें भगवान श्रीराम, राधा-कृष्ण, माता दुर्गा, हनुमानजी, लक्ष्मी-नारायण और नंदी महाराज की मूर्तियाँ स्थापित की गईं और वर्तमान में यहां दो पुजारी हैं, जो इस मंदिर कि सेवा करते हैं. इसके अलावा मंदिर की देख-रेख स्थानीय लोग और चास व्यापारी संघ के द्वारा की जा रही है.वहीं पुजारी विजय शास्त्री ने आगे बताया मंदिर में विराजमान बूढ़ा बाबा का शिवलिंग अपने विशेष स्वरूप के कारण श्रद्धालुओं कि विशेष आस्था है, क्योंकि धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, 12 ज्योतिर्लिंग में एक त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के समान देखने में लगता है और यहां भगवान शिव के अलावा मां पार्वती भी प्रकट हुई है जिस पर प्राचीन चिन्ह देखने को मिलता है.
शिवरात्रि पर भव्य आयोजन और शोभायात्रा
वहीं मंदिर के शिवालय के पुजारी सुशील झा ने बताया कि उनकी सात पीढ़ियां इस मंदिर में पूजा-अर्चना कर रही हैं. हर साल महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसके बाद शिव जी की भव्य शोभायात्रा चास नगर में निकाली जाती है.
साथ ही मंदिर में पूजा करने आईं श्रद्धालु प्रतिमा मोदक ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके पति शादी के तीन साल बाद गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए थे, जिससे उनका व्यवसाय ठप हो गया. आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि इलाज कराना भी मुश्किल हो गया था. ऐसे में उन्होंने बूढ़ा बाबा की सच्चे मन से अराधना की और साथ ही आयुर्वेदिक घरेलू उपचार भी अपनाया छह महीने में उनके पति पूरी तरह स्वस्थ हो गए तभी से वह रोज मंदिर में पूजा अर्चना करती है
वहीं चास निवासी अमित कुमार ने बताया कि वे बचपन से इस मंदिर में आते रहे हैं. उनके पूर्वजों के अनुसार, जो भी अविवाहित पुरुष या महिला सच्चे मन से पूजा करते हैं, उन्हें मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है इस मान्यता के कारण यहां युवक-युवतियां यहां विशेष रूप से पूजा अर्चना करने आते हैं.
Bokaro,Jharkhand
February 24, 2025, 16:11 IST
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