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दशहरा पर एक नहीं बल्कि बन रहे हैं कई सारे शुभ योग, माता की पूजा का साथ करें भगवान श्रीराम की आराधना

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Dussehra 2025: इस साल विजयादशमी 2 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी. ज्योतिषाचार्य पंडित शत्रुघ्न झा के अनुसार यह दिन विशेष है क्योंकि शस्त्र पूजन के समय सुकर्मा योग और रवि योग का संयोग बन रहा है.

शस्त्र पूजा के समय बनेंगे दो शुभ योग

जमुई. इस साल विजयादशमी का पर्व 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. इस दिन देवी अपराजिता और शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है. लेकिन इस बार दशहरा के दिन दो बड़े ही बेहतरीन संयोग बनने वाले हैं, जिस कारण यह दिन बेहद ही खास बनने वाला है. ज्योतिषाचार्य पंडित शत्रुघ्न झा बताते हैं कि इस बार दशहरा की शस्त्र पूजा 2 शुभ योगों में संपन्न होगी. उन्होंने बताया कि शस्त्र पूजा के समय सुकर्मा योग और रवि योग का संयोग बन रहा है.

2 अक्टूबर के दिन सुबह से लेकर रात 11 बजकर 29 मिनट तक सुकर्मा योग बनने वाला है. इसके बाद इसी दिन धृति योग प्रारंभ होने वाला है. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही इस पूरे दिन रवि योग पूरे दिन विद्यमान रहेगा. इसके साथ ही श्रवण नक्षत्र सुबह 9 बजकर 13 मिनट से लेकर पूरी रात तक रहेगा, जो दिन को और भी विशेष बना रहा है.

इस दिन करनी चाहिए भगवान श्रीराम की पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित शत्रुघ्न झा ने बताया कि विजयादशमी या दशहरा के दिन भगवान श्रीराम, मां दुर्गा, भगवान गणेश और हनुमान जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि विजयादशमी के दिन रामायण पाठ, सुंदरकांड और श्रीराम रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस दिन रामायण का विशेष महत्व माना जाता है. इसके साथ ही दशहरा पर शस्त्र पूजन की परंपरा भी प्राचीन काल से चली आ रही है.

ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए गए शस्त्र पूजन से जीवन में साहस, शक्ति और विजय की प्राप्ति होती है. इसके अलावा विजयादशमी के दिन बच्चों का अक्षरारंभ, नया व्यवसाय शुरू करना, नई फसलों के बीज बोना जैसे कार्य अत्यंत शुभ माने जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन जिस भी कार्य का प्रारंभ होता है, उसमें सफलता अवश्य मिलती है.

बेहद ही खास माना जाता है दशहरा का दिन
गौरतलब है कि दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. इस दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध कर धर्म और न्याय की स्थापना की थी. रावण के अत्याचार और अहंकार से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया और रावण का अंत किया. यही कारण है कि दशहरा का पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की विजय का प्रतीक माना जाता है.

साथ ही इस दिन मां दुर्गा द्वारा महिषासुर के संहार की स्मृति भी जुड़ी हुई है. यही वजह है कि विजयादशमी को शक्ति और धर्म की विजय का दिन कहा जाता है और देशभर में इसे धूमधाम से मनाया जाता है.

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दशहरा पर एक नहीं बल्कि बन रहे हैं कई सारे शुभ योग, ऐसे करें शस्त्र पूजन

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