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धर्मशाला के इस मंदिर में जलता धूना 500 सालों से नहीं हुआ ठंडा; जानें इससे जुड़ी रहस्यमयी कहानी!

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Maha Shivratri 2025: धर्मशाला के अघंजर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा. भगवान शिव के दर्शन और अखंड धूने में माथा टेकने पहुंचे भक्तों की गहरी आस्था है. पांडवों से जुड़े इस प्राचीन मंद…और पढ़ें

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अघंजर महादेव

हाइलाइट्स

  • अघंजर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर उमड़ा जनसैलाब.
  • श्रद्धालुओं ने बारिश में भी भगवान शिव के दर्शन किए.
  • बाबा गंगाभारती के अखंड धूने में भी श्रद्धालुओं ने माथा टेका.

कांगड़ा. जहां पूरे विश्व में महाशिवरात्रि का पर्व धूम धाम से मनाया जा रहा है वहीं धर्मशाला के प्रसिद्ध अघंजर महादेव मंदिर में सुबह से मंदिर में लंबी कतारें लगी रहीं.प्राचीन श्री अघंजर महादेव मंदिर खनियारा में महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा है. सैकड़ों श्रद्धालु भगवान भोले नाथ के दर्शन व बेल पत्र चढ़ाने के लिए शिवरात्रि के पावन अवसर पर मंदिर पहुंचे हैं.अघंजर महादेव के प्रति लोगों में गहरी आस्‍था है.शास्त्रों में पापों को नाश करने वाले को ही अघंजर कहा है.

अघंजर महाशिव को कहा गया है. शिव लिंग यहां पर स्थापित है, जिसकी यहां पर पूजा अर्चना शिवरात्रि को विशेष तौर पर की जाती है.इसके साथ ही यहां पर बाबा गंगा भारती का अखंड धूना पांच सौ से अधिक सालों से जल रहा है.

अखंड धुने के लिए दर्शन
यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु जहां भगवान शिव की अघंजर महादेव के रूप में पूजा अर्चना करते हैं.वहीं बाबा गंगाभारती के अखंड धूने में भी माथा टेकते हैं. इसके साथ ही कल-कल करते बहने वाली मनूणी खड्ड में भी शिवलिंग स्थापित है, जिसे गुप्तेश्वर महादेव कहा गया है. यहां भी श्रद्धालु आज के दिन भारी तादाद में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मान्यता है कि आज तक बाबा गंगा भारती के धूने में असाध्य रोगों को दूर करने की क्षमता है.

पांडवों से जुड़ा है इतिहास 
मान्यता है कि अज्ञात वास के दौरान पांडव यहां आए थे और अर्जुन ने मंदिर के नीचे की तरफ एक गुफा में भगवान शिव की आराधना की थी. और फिर भगवान ने प्रसन्न हो कर दर्शन दिए थे.

ऐसे पहुंचे मंदिर तक
धर्मशाला बस अड्डे से इस मंदिर की दूरी आठ किलोमीटर के करीब है. बस व टैक्सी से धर्मशाला, दाड़नू, कंडी पटोला होते हुए खनियारा व मंदिर तक पहुंच सकते हैं. जबकि अन्य रास्ता सिद्धपुर सेक्रेड हार्ट स्कूल चौक से मोहली रीजनल सेंटर होते हुए इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं यहां से इसकी दूरी महज पांच किलोमीटर है.

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इस मंदिर में जलता धूना 500 सालों से नहीं हुआ ठंडा; जानें इसकी रहस्यमयी कहानी!

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