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क्या शादी से पहले कुंडली मिलाना जरूरी? प्रेमानंद जी महाराज ने हंसते हुए कह दी ये बड़ी बात

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कुंडली और जन्मपत्री हिंदू धर्म में किसी के जन्म लेने के बाद सभी लोग बनवाते हैं, लेकिन क्या ये बनवाना जरूरी होता है? क्या शादी से पहले कुंडली मिलानी चाहिए? इस परंपरा पर प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि सद्विचार और …और पढ़ें

क्या शादी से पहले कुंडली मिलाना जरूरी? प्रेमानंद महाराज ने कह दी ये बड़ी बात

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, कुंडली ब्याह-व्याह करना हो तो जरूरी है.

हाइलाइट्स

  • प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, कुंडली ब्याह-व्याह करना हो तो जरूरी है.
  • सद्विचार और समझदारी से वैवाहिक जीवन सफल होता है.
  • अब तो लव मैरिज में भी कम लोग कुंडली देखते हैं.

जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो सबसे पहले माता-पिता उसकी कुंडली, जन्मपत्री बनवाते हैं ताकि बड़े होने पर उस बच्चे का भिवष्य कैसा होगा, उसकी शादीशुदा जिंदगी कैसी बीतेगा, कार्यक्षेत्र और बिजनेस आदि में कितना तरक्की करेगा, ये सब जान सकें. उस पर कौन सा ग्रह दोष, कौन सी संकट आ सकती है आदि बातों को लोग जानने के लिए जन्मपत्री बनवाते हैं. खासकर, जब किसी की शादी होती है तो लोग लड़का-लड़की की कुंडली मिलाते हैं. अक्सर हिंदू धर्म में शादी करने से पहले दूल्हा-दुल्हन की कुंडली, जन्मपत्री आदि मिलाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि इससे ये पता चलता है कि लड़का-लकड़ी के आपस में कितने गुण मिलते हैं. क्या उनकी शादी खुशहाल बीतेगी. कहीं कोई वैवाहिक जीवन में कड़वाहट, क्लेश, लड़ाई-झगड़े तो नहीं होंगे. ये भी देखा जाता कि लड़का या लकड़ी मांगलिक तो नहीं.

खासकर, जब माता-पिता अपनी पसंद से अपने बच्चों की शादी तय करते हैं, तो वहां कुंडली जरूर मिलाई जाती है. लेकिन, आजकल के जमाने में जो लोग इन विचारों को नहीं मानते या जो लव मैरिज करते हैं, वे कुंडली, जन्मपत्री दिखाने-मिलाने में विश्वास नहीं रखते हैं. ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि क्या कुंडली/जन्मपत्री बनवाना जरूरी है? यही प्रश्न एक महिला ने प्रेमानंद जी महाराज की सभा में पूछा. जानिए आखिर प्रेमानंद जी ने उस महिला को क्या जवाब दिया. कितना और क्यों जरूरी है कुंडली/ जन्मपत्री बनवाना.

क्या कुंडली/जन्मपत्री बनवाना जरूरी है?

प्रेमानंद जी महाराज की एक सभा में जब एक महिला ने उनसे प्रश्न किया कि क्या कुंडली और जन्मपत्री बनवाना बहुत जरूरी होता है? इस प्रश्न का जवाब प्रेमानंद जी महाराज हंसते हुए देते हैं. वे कहते हैं कि ब्याह-व्याह करना हो तो जरूरी तो है ही. बाबा जी बनवाना हो तो कई बात नहीं. वह आगे बोलते हैं कि आजकल तो ऐसा समय आ गया है कि कुंडली कौन देखता है. कितने गुण मिले आज ये सब कहां चल रहा है. अब तो लव मैरिज (प्रेम विवाह) भी होता है, इसमें कहां ये सब देखा जाता है.

तभी एक व्यक्ति सभा में बोलता है कि अब तो जिनकी कुंडली ज्यादा मिलती है, उनकी भी आपस में लड़ाई हो रही है. इस पर प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि देखो, लड़ाइयां तब बंद होगी, जब सद्विचार होंगे. कुंडली से थोड़ी हो जाएगी सद्विचार. आपका सद्विचार होगा तभी आप मंगल विचारों की तरफ बढ़ेंगे. यदि आपकी पत्नी कड़वा बोल भी रही है तो आप थोड़ा नम्र हो जाएं. तभी दोनों जीवनसाथी का जीवन मंगलमय होगा. ठीक है, कभी गुस्सा हो रही है तो आप थोड़ा शांत हो जाएं. फिर कभी जब पत्नी डाउन है तो अपनी बात आप रख दें. यदि पत्नी किसी कारणों से असंतुष्ट हो तो पति को संतुष्ट करना चाहिए. बेहद जरूरी है कि आप समस्या को समझें. लड़ना, मारना-पीटना ये राक्षसी व्यवहार होता है, जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है.

मैं तो इतना कहता हूं कि अगर आपका चरित्र पवित्र है तो हर बात सह लेना चाहिए. फिर चाहे वह पति हो या पत्नी. एक-दूसरे की कमियों को सह लेना चाहिए. अगर कोई चरित्रहीन है तो फिर किसी भी हाल में संबंध नहीं चल पाएगा. यदि कोई और कमियां किसी में हैं तो चलेगा, लेकिन चरित्रहीन नहीं होना चाहिए.

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