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धार्मिक सद्भाव की मिसाल! मुस्लिम शख्स ने संवारा हनुमान मंदिर, अब भव्य मेले की तैयारी

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बाराबंकी जिले की तहसील हैदरगढ़ क्षेत्र के त्रिवेदीगंज ब्लॉक मैं गोमती नदी के तट पर स्थित श्री बजरंग गढ़ी मंदिर का मुस्लिम शख्स ने जीर्णोद्धार कर अनूठी मिशाल पेश की है दरअसल प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार डॉ. सैयद…और पढ़ें

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हनुमान मंदिर बाराबंकी

हाइलाइट्स

  • मुस्लिम शख्स ने संवारा प्राचीन हनुमान मंदिर.
  • डॉ. सैयद रिजवान अहमद ने कराया मंदिर का जीर्णोद्धार.
  • मंदिर में भव्य मेले का आयोजन किया जा रहा है.

बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हिंदू-मुस्लिम एकता की अनूठी मिसाल देखने को मिली है. जहां मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक शख्स ने प्राचीन हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया है. यह कार्य मंदिर प्रबंधन की सहमति से किया गया, जिसमें तीन महीनों के अंदर मंदिर का पूरा कायाकल्प कर दिया गया. इस पहल से क्षेत्र में भाईचारे और आपसी मेलजोल को बढ़ावा मिला है. मंदिर के इस कायाकल्प से स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है, और यह धार्मिक एकता का एक बेहतरीन उदाहरण बन चुका है. जो ये साबित करता है कि समाज को जोड़ने का काम धर्म के नाम पर विभाजन से नहीं, बल्कि आपसी भाईचारे से होता है.

मुस्लिम शख्स ने संवारा प्राचीन मंदिर
बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ तहसील क्षेत्र में त्रिवेदीगंज ब्लॉक में गोमती नदी के तट पर स्थित श्री बजरंग गढ़ी मंदिर का जीर्णोद्धार एक मुस्लिम डॉ. सैयद रिजवान अहमद ने कराया. ग्राम प्रधान सतीश कुमार के मुताबिक, डॉ. रिजवान का गांव में जमीनों से जुड़ाव है. जब उन्होंने इस जर्जर मंदिर की स्थिति देखी, तो मंदिर प्रबंधन की सहमति लेकर उन्होंने दिसंबर में नवीनीकरण कार्य शुरू कराया. जिसके बाद महज तीन महीने में मंदिर और उसके परिसर का पूरा कायाकल्प कर दिया गया.

रहस्यमयी घटना से श्रद्धालुओं में बढ़ी आस्था
वहीं, मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान एक चमत्कारिक घटना भी देखने को मिली. ग्राम प्रधान और ग्रामीणों के अनुसार, मंदिर में मौजूद मूर्ति काफी नीचे थी, जिससे चबूतरा और सीढ़ियां बनाने में दिक्कत आ रही थी. लेकिन अगली ही रात मूर्ति अपने आप करीब डेढ़ फीट ऊपर उठ गई, जिसे लोग भगवान का चमत्कार मान रहे हैं. इस घटना के बाद से इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था और बढ़ गई है.

धार्मिक एकता को बढ़ावा देने का प्रयास
डॉ. रिजवान ने बताया कि यह पहल धर्म के नाम पर बढ़ती दूरियों को मिटाने और साझा संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए की गई है. मंदिर तक पहुंचने के लिए दो नए प्रवेश द्वार बनाए जा रहे हैं. इनमें से एक बेंगलुरु के सरन परिवार द्वारा निर्मित किया जा रहा है, जबकि दूसरा लखनऊ की डॉ. दिव्या का परिवार बनवा रहा है.
यह मंदिर अपनी पौराणिक मान्यता के कारण बाराबंकी और लखनऊ के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. मंदिर के नवीनीकरण और इसमें किए गए बदलावों के बाद इस वर्ष यहां भव्य मेले का आयोजन भी किया जा रहा है, जिससे लोगों में और अधिक उत्साह देखने को मिल रहा है.
यह अनूठी पहल दर्शाती है कि धार्मिक सौहार्द और आपसी प्रेम से ही समाज मजबूत बनता है, और यही भारत की गंगा-जमुनी तहजीब की पहचान भी है.

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