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पंचक के दौरान हो गई है परिवार में किसी की मृत्यु? क्या घर के बाकी लोगों के जीवन पर भी होता है संकट? एक्सपर्ट से जानें कारण और उपाय

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Panchak Manyta : पंचक एक ऐसा समय है, जब ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार व्यक्ति और परिवार को कई तरह के संकटों से बचने के उपाय करने की जरूरत होती है. पंचक में किसी की मृत्यु होना परिवार के लिए एक …और पढ़ें

पंचक में हो गई है परिजन की मृत्यु? क्या घर के बाकी लोगों पर भी आता है संकट?

पंचक का महत्व

हाइलाइट्स

  • पंचक में मृत्यु को अशुभ माना जाता है.
  • पंचक में मृत्यु पर आटे या कुश के पुतले जलाएं.
  • धनिष्ठा पंचक शांति पूजा और रुद्राभिषेक करें.

Panchak Manyta : हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में पंचक का विशेष महत्व है. यह समय खास माना जाता है और इसे शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता. पंचक का समय पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन पर गहरा प्रभाव डालने के रूप में देखा जाता है, और विशेष रूप से इस समय में किसी की मृत्यु को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं. ऐसी मान्यता है कि पंचक काल में अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो इसके परिणामस्वरूप उस मृतक के परिवार के अन्य सदस्य भी संकटों का सामना कर सकते हैं. आइये, जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से इस विश्वास के पीछे का कारण और इससे निपटने के उपाय क्या हैं?

पंचक में मृत्यु का क्या अर्थ है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचक वह समय होता है जब चंद्रमा विशेष स्थानों पर होता है, जो शुभ नहीं माना जाता. इस दौरान अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, तो यह मान्यता है कि इससे परिवार के अन्य पांच व्यक्तियों की मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है. इसे अशुभ और खतरनाक समय माना जाता है, जिसमें परिवार या रिश्तेदारों को पांच अन्य लोगों की मृत्यु के बारे में अशुभ समाचार मिलने की संभावना होती है.

इसके विपरीत, अगर पंचक के समय किसी का जन्म होता है, तो यह शुभ संकेत माना जाता है और उस परिवार को लगातार शुभ समाचार मिलते हैं. पंचक के समय होने वाली मृत्यु को विशेष रूप से अशुभ समझा जाता है और इसे परिवार में अन्य संकटों के आने का संकेत माना जाता है.

पंचक में मृत्यु होने पर उपाय क्या करें?
अगर पंचक के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो गरुड़ पुराण में बताया गया है कि इस स्थिति में कुछ खास उपाय किए जा सकते हैं. एक प्रमुख उपाय यह है कि मृतक के शव के साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाकर उनका अंतिम संस्कार किया जाए. ऐसा करने से पंचक दोष का प्रभाव कम हो सकता है. अगर आटे या कुश के पुतले बनाना संभव न हो, तो पांच पिंड तैयार कर उन्हें भी अंतिम संस्कार के समय जलाना चाहिए. यह उपाय मृत्यु के संकट को टालने में मददगार साबित हो सकता है.

पंचक में मृत्यु होने पर अनुष्ठान क्यों किए जाते हैं?
पंचक काल में मृत्यु होने पर परिवार के अन्य सदस्य अगर किसी संकट से बचना चाहते हैं, तो खास धार्मिक अनुष्ठान करने की सलाह दी जाती है. इनमें प्रमुख अनुष्ठान हैं धनिष्ठा पंचक शांति पूजा और रुद्राभिषेक. इन पूजा विधियों के माध्यम से पंचक के दौरान उत्पन्न होने वाले अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है. इसके अलावा, गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि इस समय में महा मृत्युंजय मंत्र का जाप और महामृत्युंजय मंत्र का महा अनुष्ठान कराया जाना चाहिए. यह अनुष्ठान मृत्यु के संकट को टालने के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है.

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