Home Dharma पोप फ्रांसिस के निधन पर वेटिकन सिटी में अंतिम संस्कार प्रक्रिया.

पोप फ्रांसिस के निधन पर वेटिकन सिटी में अंतिम संस्कार प्रक्रिया.

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वेटिकन सिटी के पोप फ्रांसिस की मृत्यु हो चुकी है. उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार कैसे होता है. इसमें कैसे कैसे क्या किया जाता है. जैसे ही वेटिकन सिटी का प्रशासक यानि कैमरलेंगो उनकी मृत्यु की घोषणा करता है, तुरंत उनकी दो चीजें नष्ट कर दी जाती हैं. इसमें एक क्षण की भी देर नहीं की जाती. मृत्यु के बाद पार्थिव शरीर को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करते हैं. फिर अंतिम संस्कार और दफ़न की रस्म होती है. जानते हैं ये रस्में किस तरह क्रमवार तरीके से होती हैं.

पोप फ्रांसिस ने पिछले साल ही पोप के निधन के बाद होने वाले कई रीति-रिवाजों में संशोधन किया था. उन रस्मों को सरल बनाया. पोप के अंतिम संस्कार की रस्मों में ये संशोधन वर्ष 2000 के बाद पहली बार किया गया था.

मृत्यु के बाद सबसे पहले क्या
पोप की मृत्यु के बाद, वेटिकन स्वास्थ्य सेवा के प्रमुख शव की जांच करते हैं, मौत का कारण पता लगाते हैं. एक रिपोर्ट लिखते हैं. शव को सफ़ेद कपड़े पहनाए जाते हैं.

मृत्यु के बाद कौन चलाता है वेटिकन का प्रशासन
मृत्यु की औपचारिक घोषणा के लिए शव को पोप के निजी चैपल में रखा जाता है, जिसकी अध्यक्षता कैमरलेंगो द्वारा की जाती है, ये वेटिकन का वह प्रशासकीय अधिकारी होता है, जो एक पोप की मृत्यु या त्यागपत्र और दूसरे पोप के चुनाव के बीच वेटिकन का प्रशासन चलाता है. इस समय कैमरलेंगो अमेरिकी कार्डिनल केविन फैरेल हैं, जो फ्रांसिस के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में एक हैं.

वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस का वो आवास, जिसमें वह रहते थे. (Bharat.one AI)

कैमरलेंगो मृत्यु की औपचारिक घोषणा का मसौदा तैयार करता है. उसके साथ स्वास्थ्य सेवा प्रमुख द्वारा तैयार किया गया प्रमाण पत्र भी लगाता है. इसके तुरंत बाद कैमरलेंगो दो चीजों को तुरंत नष्ट कर देता है, ये होती हैं पोप की अंगूठी (Ring of the Fisherman) और सील, जो उनके अधिकार का प्रतीक होता है ताकि कोई इसका दुरूपयोग नहीं कर पाए.

क्या है रिंग ऑफ द फिशरमैन

रिंग ऑफ द फिशरमैन एक विशेष अंगूठी है, जो प्रत्येक पोप के लिए उनके शासनकाल की शुरुआत में बनाई जाती है. ये उनके पद का प्रतीक है. वेटिकन में उनके आधिकारिक अधिकार को दिखाती हैं. यह पोप की आध्यात्मिक और प्रशासनिक शक्ति का प्रतीक है.

ये अंगूठी अंगूठी आमतौर पर सोने या चाँदी की होती है, जिसमें पोप का नाम और एक प्रतीकात्मक चित्र उकेरा जाता है. पोप फ्रांसिस की अंगूठी चांदी की थी. मध्य युग में, रिंग ऑफ द फिशरमैन का उपयोग आधिकारिक दस्तावेजों (जैसे पापल बुल्स) पर मोम की सील लगाने के लिए किया जाता था. पोप अंगूठी को मोम पर दबाकर अपनी मंजूरी का प्रतीक देते थे. अब इसका उपयोग मुख्य रूप से प्रतीकात्मक है. पोप इसे औपचारिक अवसरों पर पहनते हैं. दस्तावेजों के लिए अब डिजिटल हस्ताक्षर या अन्य सील का उपयोग होता है.

ये है पोप की रिंग ऑफ फिशरमैन जिसे कल यानि 22 अप्रैल को एक समारोह में नष्ट कर दिया जाएगा. (image generated by meta ai)

इसे कुछ कार्डिनल्स की मौजूदगी हथौड़े से तोड़कर या काटकर नष्ट किया जाता है, ताकि इसका दोबारा उपयोग या दुरुपयोग न हो सके. इसे कल यानि 22 अप्रैल को एक छोटे समारोह में नष्ट किया जाएगा.

नष्ट की जाने वाली सील क्या होती है
इसे पापल सील का कहा जाता है. ये धातु की मुहर है, जिसका उपयोग पोप के आधिकारिक दस्तावेजों, विशेष रूप से पापल बुल्स (Bullae) को प्रमाणित करने के लिए किया जाता है. यह पोप के प्रशासनिक अधिकार का प्रतीक है. ये सील आमतौर पर सीसे या कांस्य की होती है. इसमें दो भाग होते हैं. एक तरफ सेंट पीटर और सेंट पॉल (कैथोलिक चर्च के संरक्षक संत) का चित्र होता है. दूसरी तरफ पोप का नाम और शीर्षक लैटिन में उकेरा जाता है. हर पोप के लिए एक नई सील बनाई जाती है, जो उनके शासनकाल के लिए अद्वितीय होती है.
इसे भी रिंग ऑफ द फिशरमैन के साथ नष्ट कर दिया जाता है. सील को हथौड़े से तोड़ा जाता है या पिघलाया जाता है, ताकि इसका दोबारा उपयोग न हो सके.

पोप फ्रांसिस की पापल सील, जिसे उनकी आधिकारिक सील माना जाता था, इसे 22 अप्रैल को नष्ट्र कर दिया जाएगा. (generated by meta ai)

क्या अब तीन ताबूत नहीं रहेंगे
अतीत से एक बदलाव के रूप में, अब इस संस्कार में शरीर को सरू, सीसा और ओक से बने पारंपरिक तीन ताबूतों में रखने की जरूरत नहीं है. अब पोप के पार्थिव शरीर को लकड़ी के ताबूत में रखा जाएगा, जिसके अंदर एक जस्ता ताबूत होता है. पोप लाल रंग के धार्मिक वस्त्र और पारंपरिक वस्त्र पहनाए जाते हैं. ईस्टर पर इस्तेमाल की जाने वाली एक बड़ी, सजी हुई मोमबत्ती पास में रखी जाती है.

सार्वजनिक दर्शन
पोप के शव को सेंट पीटर बेसिलिका में सार्वजनिक दर्शन के लिए रखा जाता है, ताकि विश्व भर के कैथोलिक और अन्य लोग श्रद्धांजलि दे सकें। यह प्रक्रिया आमतौर पर कुछ दिनों तक चलती है.

ताबूत को सील करना
अंतिम संस्कार से एक रात पहले अन्य सीनियर कार्डिनल्स की मौजूदगी में, कैमरलेंगो ताबूत को बंद करते हैं और सील लगाते हैं. पोप के चेहरे पर एक सफेद कपड़ा रखा जाता है.

अंतिम संस्कार और दफ़न
अंतिम संस्कार की अध्यक्षता कार्डिनल्स कॉलेज के डीन द्वारा की जाती है. फ्रांसिस ने अंतिम संस्कार के रीतिरिवाजों में जो सुधार किया है, उसके अनुसार पोप के शव को उनकी इच्छानुसार वेटिकन के बाहर दफनाने की अनुमति दी गई है, जिसमें कैमरलेंगो की अध्यक्षता की जाती है। ताबूत पर विभिन्न मुहरें अंकित की जाती हैं, और इसे कब्र के अंदर रखा जाता है।

फ्रांसिस का शव पारंपरिक पोप दफन स्थल सेंट पीटर बेसिलिका या उसके ग्रोटो में नहीं बल्कि शहर के पार सेंट मैरी मेजर बेसिलिका में दफनाया जाएगा. यही उनकी इच्छा थी. दफ़नाने के साथ ही कैथोलिक चर्च नौ दिनों का आधिकारिक शोक शुरू कर देता है, जिसे “नोवेमडियाल्स” के नाम से जाना जाता है.

पोप की निजी संपत्ति का क्या होता है
वेटिकन के नियमों के अनुसार, पोप की कोई भी “निजी” संपत्ति उनके निधन के बाद चर्च या वैटिकन को हस्तांतरित हो जाती है, क्योंकि पोप का पद व्यक्तिगत स्वामित्व की अवधारणा को अस्वीकार करता है.

दफन के लिए किस तरह खोदते हैं गड्ढा
पोप के लिए जब गड्ढा खोदा जाता है और इसे भरा जाता है तो क्या इसमें भी कुछ खास प्रक्रियाएं होती हैं. गड्डा वैटिकन के प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा खोदा जाता है. ये काम सीक्रेट तरीके से होता है. इसमें कोई बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं होता. ताबूत को रस्सियों या विशेष उपकरणों के साथ सावधानी से गड्ढे में उतारते हैं. ये काम वेटिकन के कर्मचारी या कारीगर करते हैं. ताबूत को गड्ढे में रखने से पहले, एक अंतिम प्रार्थना या कमिटल राइट (Rite of Committal) किया जाता है, जिसमें पुजारी मृत्यु और पुनरुत्थान पर प्रार्थनाएं पढ़ता है.

पवित्र जल और धूप का उपयोग किया जाता है, जो शुद्धि, पवित्रता और ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक है. कुछ मिट्टी या फूल ताबूत पर छिड़के जा सकते हैं. गड्ढे को उसी मिट्टी से भरा जाता है जो खोदते समय निकाली गई थी. ये काम वेटिकन के कर्मचारी या कारीगर हाथ से या छोटे उपकरणों से करते हैं. गड्ढा भरने के दौरान, पुजारी या बिशप प्रार्थनाएँ पढ़ सकते हैं, जैसे प्रभु की प्रार्थना या मृतकों के लिए प्रार्थना.

गड्ढे को भरने के बाद कब्र को एक साधारण पत्थर या स्लैब से ढक दिया जाता है. इस पर पोप का नाम, शासनकाल की तारीख और एक साधारण क्रॉस लगाया जाता है. गड्ढा भरने की प्रक्रिया आम तौर पर बंद समारोह में होती है, जिसमें केवल वैटिकन के अधिकारी, पुजारी, और कुछ कार्डिनल्स मौजूद होते हैं.

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