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Varansi Panchang: वाराणसी में पंचांग विशेषज्ञों और विद्वानों के तीन वर्षों के प्रयास के बाद हिंदू त्योहारों की तिथियों में भेद समाप्त कर दिया गया है. संवत 2082 से देशभर में एक ही दिन पर्व मनाए जाएंगे. इस ऐतिहास…और पढ़ें
अब पूरे देश में एक साथ मनाए जाएंगे हिंदू त्योहार फरीदाबाद के मिश्रा सम्मानित.
हाइलाइट्स
- सभी हिंदू त्योहार 30 मार्च 2025 से एक दिन मनाए जाएंगे.
- फरीदाबाद के उमाशंकर मिश्रा को सम्मानित किया गया.
- नया पंचांग 30 मार्च 2025 से लागू होगा.
फरीदाबाद. वाराणसी में तीन वर्षों की मेहनत और चार बैठकों के बाद आखिरकार सभी पंचांगों में त्योहारों की तिथियों का भेद समाप्त कर दिया गया है. अब होली, दीपावली, दशहरा जैसे बड़े हिंदू पर्व पूरे देश में एक ही दिन मनाए जाएंगे. यह महत्वपूर्ण निर्णय काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), काशी विद्वत परिषद और पंचांग विशेषज्ञों के गहन मंथन और विचार-विमर्श के बाद लिया गया है.
संवत 2082 के पंचांग में सुधार
संवत 2082 (2025-26) के लिए तैयार किए गए इस नए पंचांग में धर्मशास्त्रीय प्रमाणों के आधार पर मतभेदों को दूर किया गया है. इस पहल की शुरुआत वाराणसी से हुई है, लेकिन भविष्य में इसे पूरे प्रदेश और देश के पंचांगों पर लागू करने की योजना है.
फरीदाबाद के उमाशंकर मिश्रा हुए सम्मानित
इस ऐतिहासिक निर्णय को अंतिम रूप देने के लिए वाराणसी में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें देश-विदेश से 300 ज्योतिषाचार्य और विद्वान शामिल हुए. इस सम्मेलन में फरीदाबाद के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य उमाशंकर मिश्रा को भी आमंत्रित किया गया था. बीएचयू के ज्योतिष विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर शत्रुघ्न त्रिपाठी और प्रोफेसर विनय कुमार पांडे द्वारा उन्हें सम्मान पत्र प्रदान किया गया.
पंचांगों में भिन्नता से होता था असमंजस
उमाशंकर मिश्रा ने बताया कि पहले पंचांगों में भिन्नता के कारण त्योहारों की तिथियों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती थी. कभी-कभी त्योहार दो दिन तक मनाए जाते थे, जिससे आम लोगों को असमंजस होता था. इस मुद्दे पर बीएचयू में हुई बैठकों के बाद एकरूप पंचांग तैयार किया गया है, जिससे अब पूरे देश में हिंदू त्योहार एक ही दिन मनाए जाएंगे.
30 मार्च 2025 के बाद लागू होगा नया पंचांग
इस सम्मेलन के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि 30 मार्च 2025 के बाद से वाराणसी के अधिकतर पंचांगों में बदलाव कर दिया जाएगा. इसके साथ ही इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
धार्मिक और सामाजिक समरसता को मिलेगा बल
यह निर्णय न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक समरसता के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण है. अब सभी हिंदू श्रद्धालु एक साथ अपने पर्व मना सकेंगे और इससे पंचांगों को लेकर होने वाली असमंजस की स्थिति भी समाप्त हो जाएगी.