Home Dharma भाई दूज पर नारियल देने की परंपरा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व.

भाई दूज पर नारियल देने की परंपरा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व.

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भाई दूज पर बहनें नारियल देकर यमराज और यमुना जी की कथा से जुड़ी परंपरा निभाती हैं, जो भाई की दीर्घायु, सुख और समृद्धि का प्रतीक है.

धर्म, भाई दूज पर बहनें अपने भाई को नारियल देने की परंपरा का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है. यह सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के प्रेम, शुभकामनाओं और सुरक्षा की भावना का प्रतीक है.

 नारियल देने की परंपरा का महत्व

1. पौराणिक कथा से जुड़ा संबंध

इस परंपरा की शुरुआत यमराज और उनकी बहन यमुना जी से जुड़ी एक कथा से होती है. मान्यता है कि एक बार यमराज अपनी बहन यमुना के आग्रह पर कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को उनके घर आए. यमुना जी ने अपने भाई का तिलक किया, उन्हें भोजन कराया और नारियल का गोला भेंट किया. इसके बाद यमराज ने वचन दिया कि जो बहनें इस दिन अपने भाई को तिलक करेंगी और नारियल देंगी, उनके भाइयों को लंबी उम्र और सुख-समृद्धि प्राप्त होगी.

2. नारियल का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में नारियल को श्रीफल कहा जाता है, जो देवी लक्ष्मी का प्रतीक है. यह शुभता, पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. किसी भी पूजा में नारियल का उपयोग आवश्यक होता है. भाई दूज पर नारियल देना इस बात का संकेत है कि बहन अपने भाई के जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करती है.

3. याद और प्रेम का प्रतीक

कहा जाता है कि यमुना जी ने नारियल इसलिए दिया था ताकि यमराज को उनकी याद बनी रहे. इसी तरह, आज भी बहनें नारियल देकर अपने प्रेम और जुड़ाव को दर्शाती हैं.

4. कलावा और तिलक के साथ शुभ संकेत

भाई दूज पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं, कलावा बांधती हैं और नारियल देती हैं. यह तीनों चीजें मिलकर भाई की रक्षा, स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना का प्रतीक बनती हैं.

इस प्रकार, नारियल देना सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि भाई के लिए बहन की शुभकामनाओं और प्रेम का प्रतीक है. यह भाई दूज के त्योहार को और भी भावनात्मक और पवित्र बना देता है.

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भाई दूज पर बहनें भाई को नारियल क्यों देती हैं. जानिए इसका महत्व

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