Home Dharma हनुमान जी महाराज के सुंदरकांड दोहे और उनका महत्व जानें.

हनुमान जी महाराज के सुंदरकांड दोहे और उनका महत्व जानें.

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Ayodhya latest News: सुंदरकांड के दोहे “रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर” में हनुमान जी महाराज प्रभु राम का संदेश माता जानकी को सुनाते हैं और कहते हैं कि हम प्रभु राम के दूत हैं.

अयोध्या: सनातन धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन की सेवा किसी देवी देवता को समर्पित होता है. ठीक उसी प्रकार मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी महाराज को समर्पित है. इस दिन हनुमान मंदिरों में लोग हनुमान जी महाराज की पूजा प्रार्थना करते हैं. उनकी विशेष कृपा पाने के लिए कई तरह के उपाय भी करते हैं.

धार्मिक मान्यता के अनुसार इस कलयुग में भी हनुमान जी महाराज राजा के रूप में विराजमान हैं. हनुमान जी महाराज की अगर सच्चे मन से आराधना की जाए तो समस्त मनोकामना अपने आप पूरी हो जाती है. अगर आप शनिवार या मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा अथवा सुंदरकांड का पाठ करते हैं, तो यह बहुत ही उत्तम माना जाता है.

सुंदरकांड के दोहे हैं चमत्कारी

सुंदरकांड और हनुमान चालीसा में कई ऐसे चमत्कारी दोहे हैं जिन्हें अगर आप अनुसरण करें तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें आसान भी हो सकती है. साथ ही हनुमान जी महाराज में इतनी शक्ति है कि उनका नाम मात्र लेने से ही आधे से ज्यादा दुख दर्द और संकट अपने आप खत्म भी हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में चलिए सुंदरकांड के कुछ दोहे के बारे में विस्तार से जानते हैं.

दरअसल, अगर आप हनुमान चालीसा अथवा सुंदरकांड के दोहे का अनुसरण कर रहे हैं, तो उसका अर्थ भी आपको पता होना चाहिए तभी उसका पुण्य आपको प्राप्त होगा. रामचरितमानस में एक कांड है जिसे सुंदरकांड के नाम से जाना जाता है जिसमें हनुमान जी महाराज की महिमा का वर्णन किया गया है.

क्या है दोहे का अर्थ

” दो0-रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर। अस कहि कपि गद गद भयउ भरे बिलोचन नीर।।” सुंदरकांड के इस दोहे में हनुमान जी महाराज की भावुकता और माता जानकी के प्रति उनकी सहानुभूति को दर्शाया गया है. इसके बारे में विस्तार से शशिकांत दास बताते हैं.

दो0-रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर।
अर्थात लंका में हनुमान जी महाराज प्रभु राम का संदेश माता जानकी को सुनने के लिए कह रहे हैं. माता धैर्य धारण करो और प्रभु राम का संदेश सुनो .

अस कहि कपि गद गद भयउ भरे बिलोचन नीर।।
अर्थात
इतना कहने के बाद हनुमान जी महाराज भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू भर आए

शशिकांत दास बताते हैं कि इस दोहे में हनुमान जी महाराज प्रभु राम का संदेश माता जानकी को सुनाते हैं और कहते हैं कि हम प्रभु राम के दूत हैं इस दोहे का अनुसरण करने से व्यक्ति को हनुमान जी महाराज के साथ प्रभु राम और माता जानकी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही जीवन में चल रही तमाम तरह की कठिन से कठिन परेशानियां भी दूर होती है.

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सच्चे सनातनी हैं तो बताइए सुंदरकांड के इस दोहे का अर्थ- दो0-रघुपति कर संदेसु..

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