आगरा: उत्तर भारत की सबसे ऐतिहासिक और प्राचीन रामलीला का शुभारंभ मुकुट पूजा के साथ शुरू हो गया है. मंगलवार को पूरे विधि विधान के साथ सभी मुकुट का पूजन हुआ. चन्नोमल की बाराहदरी में हुए पूजन के बाद श्री रामचरित मानस का पाठ और कीर्तन लगातार जारी रहेगा. 16 अक्टूबर तक रामलीला महोत्सव चलेगा.
चांदी के मुकुट का महत्व
रामलीला के मीडिया प्रभारी राहुल गौतम ने बताया कि मुकुट 150 साल पुराना है. ऐसे में चांदी के धातु के बने हुए मुकुट आज पूरे उत्तर भारत में कहीं देखने को नहीं मिलते हैं. इन मुकुट पूजन के साथ ही रामलीला का शुभारंभ माना जाता है. इस रामलीला को पूरे उत्तर भारत की सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक रामलीला होने का गौरव प्राप्त है.
जारी रहेगा रामचरितमानस का पाठ
चन्नोमल की बाराहदरी में भगवान श्री राम, मां सीता, लक्ष्मण, गणेश जी और भगवान हनुमान जी के चांदी की मुकुटों की पूजा की गई. रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पुरुषोत्तम खंडेलवाल और महामंत्री राजीव अग्रवाल ने पूजन किया. इस साल रामलीला का मंच रामकृपा लीला संस्थान के निदेशक नीरज चतुर्वेदी मथुरा की मंडली द्वारा किया जा रहा है.
वहीं, 18 सितंबर से शुरू हो रहे पितृ पक्ष की वजह से 17 सितंबर को ही पूजन कर लिया गया. मुकुट पूजन पंडित चक्रपाणी शर्मा ने कराया. जहां सबसे पहले गणेश भगवान को आमंत्रित किया गया. पूजन के अंत में आरती हुई. जहां 16 अक्टूबर तक बाराहदरी में मनोज भारद्वाज द्वारा रामचरित मानस का पाठ और कीर्तन हर रोज होगा.
150 साल पुराना है मुकुट
रामलीला कमेटी के मीडिया प्रभारी राहुल गौतम ने बताया कि चांदी के मुकुट 150 साल पुराना है. जहां हर साल इसका जीर्णोद्धार कराया जाता है. ऐसे मुकुट पूरे उत्तर भारत में किसी भी रामलीला में नहीं होते हैं. इनका विशेष ध्यान रखा जाता है. जहां केवल रामलीला मंचन के दौरान ही इसको निकाला जाता है.
FIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 11:05 IST