पितरों की नाराजगी के 5 अशुभ संकेत
1. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिन लोगों के घरों में परिवार का कोई न कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता है यानि एक सदस्य सही होता है तो दूसरा बीमार पड़ जाता है, यह श्रृंखला सी बनी रहती है. इसका यह संकेत है कि आपके पितर आपसे नाराज हों. पितर अतृप्त होते हैं तो वे परिवार के सदस्यों को परेशान करते हैं.
2. विवाह के काफी समय व्यतीत होने के बाद भी जिन लोगों को संतान सुख प्राप्त नहीं होता है, उन लोगों को पितृ दोष हो सकता है. उनके पितर उनसे नाराज हो सकते हैं. इसके पीछे मान्यता यह है कि जो लोग अमावस्या, पितृ पक्ष, बड़े पर्व या त्योहार पर अपने पितरों को तर्पण, पिंडदान या स्मरण से तृप्त नहीं करते हैं, तो पितर नाराज होकर उनको श्राप देते हैं कि जिस वंश की वजह से हमें तृप्ति या मुक्ति नहीं मिल रही है, फिर उनको वंश की क्या जरूरत है? पितरों के श्राप से भी व्यक्ति संतान का सुख प्राप्त नहीं कर पाता है.
3. आप कोई काम या नया बिजनेस करते हैं, उसमें असफल हो जाते हैं, फिर कुछ और करते हैं, उसमें भी निराशा ही हाथ लगती है. हर तरह के काम करने की कोशिश करते हैं, लेकिन हर बार असफलता ही मिलती है. इसके पीछे पितृ दोष हो सकता है. पितृ दोष के कारण व्यक्ति का काम रुक सकता है.
4. जिन लोगों के पितर नाराज होते हैं, उनको धन हानि का सामना करना पड़ता है. कहीं पर वे धन निवेश करते हैं तो वह डूब जाता है. बचत का पैसा परिवार के बीमार सदस्य की सेहत पर खर्च हो जाता है. लोगों को पैसे उधार देंगे तो वे वापस नहीं मिलेंगे. आपका पैसा फंस जाता है.
5. जिन लोगों के परिवार में हमेशा कलह रहती है. परिवार के सदस्य एक दूसरे के साथ विवाद में फंसे होते हैं. एक दूसरे पर विश्वास नहीं होता है. हमेशा अशांति और अविश्वास का माहौल बना रहता है. इतना ही नहीं, पितरों की नाराजगी की वजह से परिवार के सदस्यों के विवाह में बहुत विलंब होता है या शादी की बात पक्की नहीं होती है.
पितरों को तृप्त करने के उपाय
यदि आपके पितर नाराज हैं या पितृ दोष है तो आप किसी योग्य ज्योतिषाचार्य की मदद से त्रिपिंडी श्राद्ध करें. इसके साथ अमावस्या और पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि करें. पितरों के निमित्त दान करें. इससे लाभ होगा.
