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भोलेनाथ ने खुद निभाई थी भक्त की ड्यूटी, पुलिस अफसर भी रह गया हैरान! क्या है इस रहस्यमयी मंदिर की कहानी?

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Agency:Bharat.one Madhya Pradesh

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Sagar Historical Temple: सागर जिले के ढाना में स्थित पटनेश्वर धाम चंदेल कालीन शिव मंदिर है, जहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यहां संत राम-राम महाराज की कुटिया से अब भी राम-राम की आवाजें सुनाई देती हैं. …और पढ़ें

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कुटिया 

हाइलाइट्स

  • पटनेश्वर धाम में राम-राम महाराज की कुटिया से आती है राम-राम की आवाज.
  • अपवित्र व्यक्ति को कुटिया में जाने पर घबराहट और बेचैनी होती है.
  • राम-राम महाराज ने नौकरी छोड़कर पटनेश्वर धाम में ली समाधि.

सागर. सागर जिले के ढाना में भगवान भोलेनाथ का चंदेल कालीन शिव मंदिर है. यह दिव्य और भव्य स्थान पटनेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध है. यहां की मान्यता है कि जो भी युवक सच्चे मन से मंदिर की सेवा करता है, उसकी नौकरी लग जाती है. साथ ही लड़की लड़कियों की हाथ पीले होने की मनोकामना भी जल्द पूरी होती है. शिवरात्रि पूर्व यहां पर 20 दिन का महामहोत्सव चल रहा है. आखिरी के दिनों में तेल हल्दी मंडप, कच्ची पंगत, पक्की पंगत जैसी हर रस्म को निभाया जाएगा. इसमें हजारों लोग शामिल होने के लिए पहुंचते हैं.

कुटिया से आती है राम राम की आवाज
ऐतिहासिक पटनेश्वर धाम का यह स्थान दिव्य संतो की भी तपोभूमि भी रही है. यहां पर पांच संतो के नाम से पांच वृक्ष लगे हुए हैं जो उनकी तपस्या की गवाही देते हैं. ऐसे ही एक संत राम राम महाराज थे. जो एक दिन ऐसे भक्ति में लीन हुए की अपनी ड्यूटी भूल गए. तो भोलेनाथ ने स्वयं जाकर उनकी ड्यूटी की थी. जैसे ही उन्हें इसका आभास हुआ, तो वह नौकरी परिवार सहित सब कुछ छोड़कर यही रम गए थे. और फिर यही समाधि ली थी. जहां पर उनकी कुटिया है वहां से आज भी लोगों को राम-राम की आवाज सुनाई देती है. इतना ही नहीं, अगर कोई अपवित्र है और उनकी कुटिया के अंदर चल जाए तो उसे घबराहट, बेचैनी, कंपकपी या पसीना आने जैसी चीज होने लगती है. कई लोगों को इसका एहसास हुआ है. जिसके चलते अब उनकी कुटिया को बंद रखा जाता है. सुबह शाम दिया बत्ती करने के लिए ही इसे खोलते हैं.

मंदिर पर मुगलों ने किया था आक्रमण
वैसे तो यहां मंदिर में स्थापित पटनेश्वर सरकार को स्वयंभू माना जाता है, लेकिन इतिहासकारों के मुताबिक यह शिव मंदिर चंदेल कालीन है. पहले यहां छोटा मंदिर हुआ करता था, लेकिन 16वीं शताब्दी में मुगलों ने नष्ट कर दिया था. बाद में मराठाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, रानी लक्ष्मी बाई खेर को इस भव्य मंदिर को बनवाने का श्रेय जाता है,

भक्ति में लीन भक्त की ड्यूटी करने पहुंचे भगवान
मंदिर समिति के राजीव हजारी बताते हैं कि अंग्रेजी शासन काल में राम-राम महाराज पुलिस की नौकरी करते थे. वे इस मंदिर में रोज दर्शन करने के लिए आते थे. एक दिन पुजारी नहीं होने की वजह से वे रात में मंदिर में रुक गए और ड्यूटी पर नहीं पहुंच पाए. बिना सूचना के ड्यूटी से गायब रहने की वजह से दूसरे दिन अपने अधिकारियों के पास पहुंचे और क्षमा मांगने लगे. तब उन्होंने कहा कि किस बात की क्षमा मांग रहे, आप तो कल ड्यूटी पर आए थे. रजिस्टर में हस्ताक्षर भी है.

उन्होंने कहा नहीं मैं मंदिर में था. इसके बाद उस व्यक्ति को बुलाया गया, जिसके साथ ड्यूटी की थी. उसने भी स्वीकार किया कि यह रात भर मेरे साथ थे. इसके बाद राम-राम महाराज को एहसास हुआ, यह सब पटनेश्वर धाम कि भगवान की लीला है. इसी दिन से वह नौकरी को छोड़कर वापस मंदिर आ गए और यहीं पर कीर्तन करने लगे. फिर उन्होंने कुटिया बना ली और यही रहने लगे थे. यह कुटिया आज भी मौजूद है.

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