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यहां अनोखे तरीके से मनाया गया राधा अष्टमी, पुजारी चंचलापति बोले- राधा-कृष्ण की लीला को समझने योग्य नहीं सामान्य जीव

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मथुरा: बृज मंडल की अधिष्ठात्री देवी श्रीमती राधारानी का जन्मोत्सव सम्पूर्ण ब्रज में आनंद और उल्लास के साथ मनाया गया. इस क्रम में भक्ति वेदांत स्वामी मार्ग स्थित चंद्रोदय मंदिर के भक्तों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की आल्हादिनी शक्ति श्रीमती राधारानी के प्राकट्योत्सव को राधाष्टमी महामहोत्सव के रूप में बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया.

हरिनाम संकीर्तन रहा आकर्षण का केंद्र
भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण को पुष्पों का चयन कर बड़े ही मनोहारी रूप में सुसज्जित किया गया था. इस महामहोत्सव के पावन पर्व पर प्रातः काल मंगला आरती, श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्र की धूप आरती, नवीन पोशाक धारण, फूल बंगला, छप्पन भोग, पालकी उत्सव, झूलन उत्सव, भजन संध्या, महाभिषेक एवं अखण्ड हरिनाम संकीर्तन का आयोजन किया गया.

चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष ने बताया
वहीं, भक्तों को सम्बोधित करते हुए चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष श्री चंचलापति दास ने लोकल18 को बताया कि भगवान श्रीकृष्ण पूर्ण पुरूषोत्तम हैं. भगवान श्रीकृष्ण जब ब्रज मंडल में अवतरित हुए तो उनके साथ लीला में सहयोग करने के लिए श्रीमती राधारानी का आविर्भाव हुआ. उन्होंने कहा कि आचार्य जो शास्त्र की मर्यादा को समझते हैं, वो राधा कृष्ण के विषय को प्रकाशित नहीं करते हैं. श्रीराधा और कृष्ण को समझने के लिए अंतःकरण शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है.

भगवान की लीला समझने के योग्य नहीं सामान्य जीव
उन्होंने कहा कि हम जैसे समान्य जीव राधा-कृष्ण की लीला को समझने के योग्य नहीं हैं. किन्तु हम यदि आचार्यों द्वारा बताए गए भक्ति के मार्ग का पालन, शास्त्रों का अध्ययन करते हैं, तो हम उनकी कृपा के स्वरूप भगवान की लीलाओं को समझ सकते हैं.

भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की भक्ति ही प्रेमाभक्ति है. जब हम महामंत्र का जप पूर्ण श्रद्धा, शरणागति और स्वयं को दैन्य मानकर करते है. तब हमें श्रीकृष्ण और राधा जी के भक्ति मार्ग में उनकी कृपा से प्रवेश मिलता है. फूल बंगला, 56 भोग, झूलन उत्सव, महाभिषेक, हरिनाम संकीर्तन रहा आकर्षण का केन्द्र बना रहा.

हर्षोंउल्लास के साथ मना राधाष्टमी महामहोत्सव
कृष्ण भक्तों के लिए राधाष्टमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद दूसरा बड़ा उत्सव होता है. इस मौके पर चंद्रोदय मंदिर में श्रीराधारानी एवं ठाकुर श्रीवृंदावन चंद्र को गुलाबी एवं नील वर्ण के रेशम युक्त रजत से कढ़ाई किए हुए वस्त्र धारण कराए गए. इसके उपरांत चंद्रोदय मंदिर के उत्सव हॉल में श्रीमती राधारानी एवं ठाकुर श्री राधा वृंदावन चंद्र के श्रीविग्रह का महाभिषेक वैदिक मंत्रोच्चारण, पंचामृत, शहद, बूरा, विभिन्न प्रकार के फलों के रस, विभिन्न जड़ी बूटियों एवं फूलों से महाभिषेक कि प्रक्रिया को सम्पन्न कराया गया.

दूसरे राज्यों से भी पहुंचे थे भक्त
इस राधाष्टमी के विशेष अवसर पर हरिनाम संकीर्तन में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया एवं भाव विभोर होकर नृत्य करते नजर आये. उत्सव में सम्मिलित होने के लिए पंजाब, हरियाण, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, आगरा एवं फरीदाबाद के भी भक्तगण वृंदावन पहुंचे.

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