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जिम्मेदार जो भी हो… बालाजी के प्रसाद में एनिमल फैट की मिलावट श्रद्धालुओं के लिए गंभीर झटका, कानूनी कार्रवाई जरूरी

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तिरुपति बालाजी के प्रसाद लड्डू में चर्बी की मिलावट आस्थावान श्रद्धालुओं के प्रति किसी गंभीर अपराध से कम नहीं है. बालाजी के प्रति देश भर में आस्थावान हिंदुओं में अगाध विश्वास है. लड्डू बनाने में मछली के तेल और दूसरे एनिमल फैट का इस्तेमाल किए जाने के आरोप चंद्रबाबा नायडू ने लगाया था. उन्होंने ये भी कहा था कि उनकी सरकार बनने पर इसकी जांच कराई जाएगी.

सुबह लड्डुओं के नमूने नेशनल डेयरी डेवलप ब्यूरो की लैबोरेटरी में भेजा गया. शाम को रिपोर्ट में आया कि लड्डुओं में मिलावट की जा रही है. खासतौर से मछली के तेल में लड्डू बनाए जाने की बात सामने आई. ये बहुत अधिक चिंताजनक है. अभी भी देश में हिंदुओं के एक वर्ग ऐसा है जो निरामिस भोजन ही करते हैं. वे किसी भी तरह से मांस नहीं खाते. ऐसे भी बहुत सारे लोग है जो उस दूकान में नहीं जाते जहां अंडे जैसी चीज भी बिक रही होती है.

ऐसे लोगो के लिए ये बहुत अधिक कष्टप्रद बात होगी कि उन्हें प्रसाद के तौर पर जानवरों की चर्बी में बने लड्डू खिलाए गए. उन्होंने ये लड्डू श्रद्धा के साथ खाए होंगे. ध्यान रखने वाली बात है कि ये मंदिर तिरुमाला तिरुपति देवास्थानम ट्रस्ट की ओर से चलाया जाता है. इस ट्रस्ट में सरकारी अधिकारी भी होते हैं.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सुबह ये आरोप लगाया था कि वाइएसआर की सरकार ने मंदिर के लड्डू बनाने में घटिया समाग्री का प्रयोग किया साथ ही लड्डुओं को जानवरों की चर्बी में पकाया गया था. सुबह मुख्यमंत्री के बयान पर वाइएसआर की ओर से तीखी प्रतिक्रिया की गई थी. लेकिन लैबोरेटरी से जांच के बाद इसकी पुष्टि होना बताया गया.

इस खबर से निश्चित तौर पर आस्थावान हिंदुओं को बहुत चोट पहुंची है. जो हिंदू मांस-मछली खाते भी हैं वे किसी भी ऐसा प्रसाद खाना खिलाना पसंद नहीं करेंगे. यहां तक कि बहुत सारे हिंदू आस्था के शहरों में मांस मछली की बिक्री पर रोक है. बहुत से ऐसे हिंदू परिवार हैं जो केक लेते समय भी चेक करते हैं कि उसमें अंडा तो नहीं है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है लिहाजा वो सभी धर्मों के विश्वास का आदर करता है.

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बताने की जरुरत नहीं है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में श्रद्धालु इतनी बड़ी संख्या में आते हैं कि उसका चढ़ावा अक्सर देश के मंदिरों में सबसे ऊपर होता है. हाल में हाल में ही टीटीडी ने लड्डुओं की क्वालिटी बनाए रखने के लिए कई तरह के फैसले लिए हैं. इसमें लड्डू बनाने में इस्तेमाल होने वाले घी को भी स्तरीय रखने का फैसला शामिल है. बहरहाल, ये मसला बहुसंख्यक समाज की आस्था से जुड़ा हुआ है, लिहाजा इसकी संवेदनशीला को समझना होगा और दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई भी करनी होगी.

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