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यहां आज भी विराजमान हैं मां सीता…वहां तक पहुंचने की सीढ़ियां खुद महारानी ने बनवाईं!

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Bambarbaini temple Chhatarpur: छतरपुर जिले के लवकुशनगर में स्थित मां बंबरबैनी मंदिर को त्रेतायुगीन इतिहास और लोक आस्था से जोड़ा जाता है. हाल ही में इसे मध्यप्रदेश सरकार ने पवित्र स्थल घोषित किया है. जानिए इसकी …और पढ़ें

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छतरपुर की पहाड़ी पर विराजती हैं मां सीता, जानिए बंबरबैनी का रहस्य

हाइलाइट्स

  • मां बंबरबैनी मंदिर का इतिहास त्रेतायुग से जुड़ा है.
  • मध्यप्रदेश सरकार ने मंदिर को पवित्र स्थल घोषित किया.
  • मंदिर की सीढ़ियां महारानी साहिबा ने बनवाई थीं.

माता बंबरबैनी मंदिर लवकुश नगर. छतरपुर जिले में वैसे तो माता के बहुत से चमत्कारिक मंदिर हैं लेकिन एक ऐसा मंदिर भी है जिसका इतिहास त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है. दरअसल, जिले से लगभग 50‌ किमी दूर लवकुश नगर के घने जंगल वाले पहाड़ की उंचाई में स्थित मां बंबरबेनी का नाम मंदिर है जिसका संबंध त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है. हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ मोहन ने इस मंदिर को पवित्र स्थल घोषित किया है. जिसका खसरा नंबर 2157 रकवा 0.012 हेक्टेयर, साथ ही खसरा नंबर 2158 रकवा 30.375 हेक्टेयर पहाड़ क्षेत्र को पवित्र क्षेत्र घोषित किया है.

300 साल पहले हुआ था मंदिर निर्माण
मां बंबरबैनी समिति धाम के सदस्य राजेन्द्र देव सिंह बताते हैं कि यहां माता बंबरबैनी की खोज आज से 300 साल पहले पाल समाज के एक चरवाहे ने मूर्ति की खोज की थी. जिसके बाद छतरपुर के राजा महाराज हिंदू पत ने मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर निर्माण के 4 साल बाद कहारों की सहायता से डोली पर बैठकर आईं महारानी साहिबा ने माता के दर्शन किए. रास्ता दुर्गम था तो महारानी ने सीढ़ियों का निर्माण कराया था. उस समय पतली ईंट और चूने से सीढ़ियां बनाई गईं थी.

52 टुंगे में सबसे ऊंची चोटी है ये 
समिति के उपाध्यक्ष जगदीश नामदेव बताते हैं कि यहां मा सीता के साक्षात दर्शन होते हैं. मां सीता के वनवास के बाद लव और कुश का पालन-पोषण भी यहीं पर हुआ है. कुंड में साक्षात मां सीता विराजमान हैं. इस पहाड़ी पर यहां वाल्मीकि आश्रम भी रहा है. यहां आसपास 52 टुंगे (पहाड़) हैं. ये चोटी सबसे ऊंची है इसलिए इसे 52 बेड़ी कहा जाता है बाद में अप्रभंश होकर बंबरबैनी कहा जाने लगा. इसी पहाड़ी पर मां सीता विराजमान हैं इसलिए यहां मात सीता को मां बंबरबैनी नाम से जाना जाता है.

पुजारी ने जताई खुशी 
पुजारी बताते हैं कि ये बहुत ही सालों पुरानी बात है यहां के राजा को माता ने सपना दिया था. इसके बाद यहां राजा ने मंदिर का निर्माण कराया और सीढियां बनवाई थीं. इसके बाद यहां विकास हुआ है. यहां से दूर-दूर से श्रद्धालु आती हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने माता के इस मंदिर को पवित्र स्थल घोषित किया है, ये सभी नगरवासियों के लिए खुशी की बात है.

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यहां आज भी विराजमान हैं मां सीता…वहां तक पहुंचने की सीढ़ियां खुद महारानी ने

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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