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रामायण के 3 मूल मंत्र… जिन्हें अपनाकर व्यक्ति हो सकता है तनाव मुक्त, आप भी जानें क्या हैं वो खास बातें

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Ramayan ki Seekh: हिंदू धर्म के ग्रंथों में रामायण का महत्व बहुत अधिक माना जाता है. ये ना केवल एक धार्मिक ग्रंथ है बल्कि इसमें जीवन जीने की कला और सरल, सहज व संघर्षों के बीच सफलता हासिल करने के तरीकों को भी बताया गया है. इसमें भगवान श्रीराम ने कई ऐसे सूत्र को बताया है जिन्हें अपनाकर मानव अपने जीवन को सुख-शांति के साथ जी सकता है और विपरीत समय में भी धैर्य के साथ मुश्किलों का समाधान ढ़ूढ़ सकता है. वहीं रामायण के अनुसार कई ऐसे सूत्र भी बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर हम तनाव को दूर कर सकते हैं और शांति से अपना जीवन यापन कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं रामायण की वो 3 बातें जो हमारा तनाव दूर कर सकते हैं.

ये हैं रामायण की वो 3 बातें जो हमारे तनाव दूर कर सकते हैं

संगत के लिए हमेशा रहें सतर्क

अपनी संगत को लेकर व्यक्ति को हमेशा सतर्क रहना चाहिए. क्योंकि जैसे लोगों के बीच हम रहते हैं हमारी सोच और जीवन पर इसका पूरा असर पड़ता है. रामायण के अनुसार, हमें ऐसे लोगों की संगत में रहना चाहिए जो धर्म के अनुसार काम करते हैं और अपने साथियों की मदद के लिए हमेशा हर परिस्थिती में उनके साथ रहते हैं. अगर संगत अच्छी होती है तो व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

जैसे रामायण में सुग्रीव ने श्रीराम से मित्रता की और धर्म के मार्ग पर चलने वाले श्रीराम ने सुग्रीव की परेशानी दूर करके उसकी मदद की और फिर उसे किष्किंधा का राजा बनाया. इसके बाद श्रीराम को जब सीता जी की खोज करनी थी तो सुग्रीव ने भी उनकी मदद में पूरी वानर सेना लगा दी.

धैर्य और सकारात्मकता का पालन करें

भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास मिला उस दिन उनका राज तिलक होने वाला था. लेकिन इस बात का पता चलते ही भी श्रीराम ने अपना धैर्य नहीं खोया. माता कैकई की इच्छा पूरी करने के लिए रघुनंदन ने सकारात्मक सोच के साथ वनवास जाने की तैयारी कर ली. इस मुश्किल परिस्थितियों को भी उन्होंने धैर्य और सकारात्मकता के साथ अपनाया, तो इससे हमें यह सिखना चाहिए कि अगर हम धैर्य और सकारात्मक सोच के साथ जीवन के संघर्षों का सामना करें, तो कभी भी तनाव महसूस नहीं होगा.

काम पूरा न होने तक न करें आराम

रामायण कथा के अनुसार, एक बार हनुमान जी जब माता सीता की खोज में लंका जा रहे थे. तब उन्हें आकाश में उड़ते हुए काफी देर हो चुकी थी तब रास्त में मैनाक पर्वत ने हनुमान जी से विश्राम करने को कहा, लेकिन मैनाक पर्वत की बात सुनकर हनुमान ने कहा था कि जब तक राम काज पूरा नहीं हो जाता, मैं विश्राम नहीं कर सकता. इस प्रसंग से हमें सीख मिलती है कि जब तक काम पूरा न हो जाए, हमें विश्राम नहीं करना चाहिए. काम समय पर पूरा हो जाएगा तो जीवन में कोई तनाव नहीं रहेगा.

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