रीवा: रीवा जिले के गुढ़ के निकट स्थित भैरव बाबा का मंदिर आज भी रहस्य की चादर में लिपटा हुआ है. ये अद्भुत प्रतिमा न केवल अपने स्थान पर स्थिर है, बल्कि इसके हिलाने का भी कोई प्रयास सफल नहीं हो पाया है. भैरव बाबा की ये आदमकद प्रतिमा 10वीं-11वीं शताब्दी के बीच निर्मित की गई है, जो विंध्य क्षेत्र के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है.
भैरव प्रतिमा का ऐतिहासिक महत्व
मध्यप्रदेश के प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1964 के तहत भैरव बाबा की प्रतिमा को प्रांतीय महत्व का राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है. इसे नुकसान पहुंचाने या दुरुपयोग के लिए तीन साल की कैद और आर्थिक दंड का प्रावधान है. मंदिर परिसर में इस बात की सूचना देने वाला एक बोर्ड भी लगाया गया है.
खामडीह में स्थित ये भैरव प्रतिमा 8.50 मीटर लंबी और 3.70 मीटर चौड़ी है. प्रतिमा के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला, ऊपरी हाथ में सर्प और नीचे के हाथ में कलश है. गले में लिपटी रुद्राक्ष की माला और कमर पर सिंह मुख का अंकन इसे और भी खास बनाता है. यह प्रतिमा विशालकाय और अद्वितीय कलाकृतियों से सजी देश की चिह्नित प्रतिमाओं में से एक मानी जाती है.
धार्मिक मान्यताएं और महत्व
हिंदू धर्म में काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है. उनके अवतार का उद्देश्य व्यक्ति को डर से मुक्ति दिलाना और नकारात्मक शक्तियों को दूर रखना है. गूढ़ स्थित इस प्रतिमा को कई बार उठाने का प्रयास किया गया, लेकिन यह अपनी जगह से हिली नहीं है, जिससे इसके वजन और निर्माण की रहस्यमयता और भी बढ़ जाती है.
मंदिर का विकास और पर्यटन
हाल ही में, रीवा में भैरव नाथ मंदिर का कायाकल्प किया गया है, जिसमें सरकार द्वारा 1.65 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इस स्थल के विकास के लिए अनेक उपाय किए गए हैं, जिससे इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सके.
आचार्य शिवम शुक्ला के अनुसार, काल भैरव की पूजा करने से न केवल व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है, बल्कि यह नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करती है. भैरव नाथ को भगवान शिव का गण मानते हुए, भक्तों का इस अद्भुत मंदिर के प्रति अपार श्रद्धा है.
FIRST PUBLISHED : September 27, 2024, 16:21 IST
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