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वैशाख मास का धार्मिक महत्व: अक्षय तृतीया, सीता सप्तमी, मोहिनी एकादशी, बुद्ध पूर्णिमा

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वैशाख का महीना धर्म-कर्म के लिए विशेष माना गया है. इस महीने में जल दान का महत्व है. अक्षय तृतीया, सीता सप्तमी, मोहिनी एकादशी और बुद्ध पूर्णिमा जैसे पर्व मनाए जाते हैं.

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महीनों में वैशाख को उत्तम कहा गया है. 

हाइलाइट्स

  • वैशाख में जल दान का विशेष महत्व है.
  • 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी.
  • वैशाख में शिव और विष्णु की पूजा करें.

जयपुर. वैशाख का महीना शुरू हो चुका है. पौराणिक ग्रंथों में इसे सबसे श्रेष्ठ महीना बताया गया है. जिस प्रकार युगों में सतयुग, शास्त्रों में वेद, तीर्थों में गंगा को श्रेष्ठ माना गया है, उसकी तरह महीनों में वैशाख को उत्तम कहा गया है. इस महीने में गर्मी चरम पर होती है, इसलिए जल दान का विशेष महत्व है. इस महीने में कई बड़े पर्व और व्रत आते हैं. इस महीने में 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया, 6 मई को सीता सप्तमी, 8 मई को मोहिनी एकादशी और 12 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी. इन पर्वो का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि अक्षय तृतीया पर अबूझ सावा है.

धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि वैशाख का महीना धर्म-कर्म के लिए बहुत खास है. इस महीने में किया गया जल दान अक्षय पुण्य देता है. इसका असर जीवन भर बना रहता है. भगवान की कृपा से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं. ये महीना कल्पवृक्ष के समान फलदाई माना गया है. इसके अलावा इस महीने में पुण्य करने से भगवान शिव और भगवान विष्णु को प्रसन्न होते हैं. पुराणों में कहा गया है कि न ‘माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्, न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गङ्गया समम्’. यानी वैशाख जैसा कोई महीना नहीं, सतयुग जैसा कोई युग नहीं, वेद जैसा कोई शास्त्र नहीं और गंगा जैसा कोई तीर्थ नहीं. स्कंद, पद्म, ब्रह्मवैवर्त पुराण और महाभारत में भी वैशाख मास का विशेष बताया गया है.

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धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि इस महीने सूर्योदय से पहले स्नान, जल दान और तीर्थ स्नान से दुख दूर होते हैं. इससे कई गुना पुण्य फल मिलता है. इस महीने में रोज सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं. वहीं, भगवान विष्णु व महालक्ष्मी की पूजा करें. मंदिर में झंडा व पानी से भरे मटके का दान करें और शिवजी के सामने दीपक जलाएं.

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