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Genetic Disease FH: मुंबई की 22 साल की लड़की को अचानक तेज सीने में दर्द के बाद पता चला कि उसकी तीनों कोरोनरी धमनियों में गंभीर ब्लॉकेज है. यह कंडीशन जेनेटिक डिजीज फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया से हुई. डॉक्टर्स ने उसकी जान बचाने के लिए बायपास सर्जरी की. अब वह देश की सबसे कम उम्र की बायपास सर्जरी मरीज बन गई है.
Familial Hypercholesterolemia Case: दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा 40 की उम्र के बाद ज्यादा होता है, लेकिन कुछ रेयर मामलों में ये डिजीज बेहद कम उम्र में ही डेवलप हो सकती हैं. हाल ही में मुंबई के खार इलाके से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक 22 साल की लड़की को सीने में बहुत तेज दर्द होने लगा. यह दर्द असहनीय था और उसे आनन-फानन में डॉक्टर के पास ले जाया गया. जब डॉक्टर्स ने उसकी ECG जांच की, तब वे भी हैरान रह गए, क्योंकि 22 साल की लड़की के हार्ट की तीनों मुख्य कोरोनरी आर्टरीज में गंभीर ब्लॉकेज थी. आमतौर पर इस उम्र में ऐसा होता नहीं है, लेकिन यह दुर्लभ मामला था. इसके बाद डॉक्टर्स की टीम ने उसकी कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी की. इस सर्जरी को कराने वाली वह देश की सबसे कम उम्र की पेशेंट बन गई है. अब सवाल है कि 22 की उम्र में तीनों आर्टरीज में ब्लॉकेज कैसे आ गई?
लड़की की सर्जरी करने वाले कार्डियक सर्जन डॉ. अमित कराड ने TOI को बताया कि जैनथोमा साफ संकेत होते हैं, जिससे इस जेनेटिक बीमारी का अंदाजा लगाया जा सकता है. संभव है कि पहले जिन डॉक्टर्स ने उसे देखा, उन्होंने इसे सामान्य सूजन समझा हो. जांच में पता चला कि लड़की की तीनों कोरोनरी धमनियों में गंभीर ब्लॉकेज हैं. उसकी उम्र और लिंग को देखते हुए यह एक रेयर केस था, क्योंकि प्रीमेनोपॉजल महिलाओं को एस्ट्रोजन हार्मोन हार्ट डिजीज से नेचुरल सुरक्षा देता है. लड़की की स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि एंजियोप्लास्टी संभव नहीं थी. इसलिए डॉक्टर्स ने कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी करने का फैसला लिया. जांच में यह भी सामने आया कि उसकी 21 साल की बहन और 8 साल के भाई में भी यही लक्षण पाए गए हैं. इसका मतलब है कि यह फैमिली में जेनेटिक रूप से फैला हुआ है और अन्य सदस्यों की भी समय रहते जांच जरूरी है.
2022 में किए गए एक सर्वे में मुंबई के 79 जनरल फिजिशियंस में से सिर्फ 31% डॉक्टर्स ही फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया को सही से पहचाना. अधिकांश को यह भी नहीं पता था कि उनके किसी मरीज को यह हो सकता है. इस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं, सही खानपान और समय पर जांच से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. इस मामले ने यह साफ कर दिया कि फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया जैसी बीमारियों को लेकर डॉक्टर्स को भी जागरूक होना जरूरी है, ताकि लक्षणों को समय रहते पहचाना जा सके और मरीज की जान बचाई जा सके.
अमित उपाध्याय Bharat.one Hindi की लाइफस्टाइल टीम के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास प्रिंट और डिजिटल मीडिया में 9 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्…और पढ़ें
अमित उपाध्याय Bharat.one Hindi की लाइफस्टाइल टीम के अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास प्रिंट और डिजिटल मीडिया में 9 वर्षों से अधिक का अनुभव है। वे हेल्थ, वेलनेस और लाइफस्टाइल से जुड़ी रिसर्च-बेस्ड और डॉक्टर्स के इंटरव्… और पढ़ें
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-mumbai-22-year-old-woman-undergoes-rare-heart-bypass-due-to-genetic-cholesterol-disease-9702755.html