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Ujjain Mahakal News: उज्जैन में सोमवार की रात आस्था का सबसे सुंदर दृश्य देखने को मिलेगा. महाकालेश्वर और गोपाल मंदिर के बीच होने वाला ‘हरिहर मिलन’ एक बार फिर देवताओं की दिव्य लीला को जीवंत करेगा. इस अद्भुत परंपरा में भगवान शिव सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौंपते हैं और कैलाश पर्वत के लिए प्रस्थान करते हैं.
उज्जैन. बाबा महाकाल की नगरी में सोमवार की रात दिव्यता और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा. वैकुंठ चतुर्दशी पर बाबा महाकाल की रजत पालकी गुदरी चौराहा और पटनी बाजार से होती हुई गोपाल मंदिर पहुंचेगी. यहीं भगवान शिव और विष्णु के हरिहर मिलन की परंपरा निभाई जाएगी. मान्यता है कि इस दिन महाकाल भगवान सृष्टि का भार श्रीहरि विष्णु को सौंपते हैं. विशेष पूजन-अर्चना के साथ हजारों श्रद्धालु इस अनूठे मिलन के साक्षी बनेंगे. प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं. पूरे मार्ग पर सीसीटीवी, बैरिकेडिंग और दमकल तैनात हैं.
पुजारियों ने बताया कि वैकुंठ चतुर्दशी की रात 11 बजे महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में विशेष पूजन के बाद बाबा महाकाल की रजत पालकी सवारी निकलेगी. यह सवारी गुदरी चौराहा, पटनी बाजार से होकर गोपाल मंदिर पहुंचेगी. गोपाल मंदिर में भगवान श्रीहरि का विशेष पूजन होगा. महाकाल के पुजारी बिल्वपत्र की माला श्रीहरि को अर्पित करेंगे, जबकि गोपाल मंदिर के पुजारी तुलसी की माला महाकाल को समर्पित करेंगे. इसी प्रतीकात्मक क्षण में भगवान शिव सृष्टि संचालन का भार विष्णु को सौंप देते हैं.
सवारी मार्ग पर सफाई, प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेडिंग
मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. सवारी मार्ग पर सफाई, प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेडिंग और भीड़ नियंत्रण के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया कि सवारी मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, दमकल दल तैनात हैं, और प्रतिबंधित आतिशबाजी या हिंगोट फेंकने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
वैकुंठ चतुर्दशी पर भक्ति, प्रतीक और परंपरा एक साथ
हरिहर मिलन देखने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं. श्रद्धालु सड़कों पर दीपदान और पुष्पवर्षा करते हुए बाबा का स्वागत करते हैं. यह दृश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सृजन और पालन की शक्तियों का अद्वितीय संगम है. धार्मिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम करते हैं, इस दौरान पृथ्वी का संचालन भगवान शिव करते हैं. देवउठनी एकादशी के बाद वैकुंठ चतुर्दशी पर शिवजी यह जिम्मेदारी पुनः विष्णु को सौंपते हैं. उज्जैन का हरिहर मिलन इस आध्यात्मिक संवाद का उत्सव है- जहां भक्ति, प्रतीक और परंपरा एक साथ दिखाई देती है. जब बाबा महाकाल रजत पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर पहुंचेंगे, तब उज्जैन एक बार फिर सृष्टि के इस दिव्य हस्तांतरण का साक्षी बनेगा.
सुमित वर्मा, Bharat.one में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें
सुमित वर्मा, Bharat.one में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्थानों में सजग जिम्मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें
