शिवांक द्विवेदी ,सतना: सोमवती अमावस्या के पावन अवसर पर सतना में महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु और परिवार की खुशहाली के लिए पूरे विधि-विधान के साथ पीपल वृक्ष की पूजा की. शहर के हर पीपल वृक्ष और मंदिरों का वातावरण भक्तिमय रहा. महिलाओं ने इस अवसर पर भारतीय संस्कृति और परंपरा की गहरी जड़ों का परिचय देते हुए आस्था का अनुपम उदाहरण पेश किया.
पीपल पूजा और 108 परिक्रमा का महत्व
सोमवती अमावस्या पर व्रतधारी महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण कर पीपल वृक्ष की पूजा करती हैं. पूजा में दीपक जलाना, गंगाजल अर्पित करना और “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ विष्णवे नमः” मंत्र का जाप करना शामिल है. महिलाएं वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करती हैं और साथ ही कच्चा दूध, जल, हल्दी और चावल अर्पित करती हैं. इस पूजा का उद्देश्य पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करना है.
उत्लेश्वर महादेव मंदिर में भक्तिमय माहौल
सतना के उत्लेश्वर महादेव मंदिर में सोमवती अमावस्या के मौके पर भारी संख्या में महिलाएं पूजा-अर्चना करती नजर आईं. स्थानीय निवासी आरती भगवती पांडे ने Bharat.one से कहा कि यह परंपरा हमारी संस्कृति का हिस्सा है. हर सुहागन महिला अपने पति के लिए व्रत रखती है और पूजा करती है. सुबह से ही मंदिर में महिलाओं का आना-जाना जारी रहा.
सुबह से जुटी महिलाएं, आस्था का उत्साह
महिलाएं सुबह 4 बजे से ही पूजा के लिए मंदिर और पीपल के वृक्षों के पास जुटने लगीं. स्थानीय निवासी कृति यादव ने बताया कि सुबह 9 बजे तक लगभग 200 से अधिक महिलाएं पूजा कर चुकी थीं. यह सिलसिला पूरे दिन जारी रहता है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाएं स्थानीय मंदिरों और पीपल के वृक्षों के पास परंपरागत पूजा करती नजर आईं.
परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना
महिलाओं ने पीपल पर धागा लपेटते हुए 108 बार परिक्रमा पूरी की और अपने परिवार की शांति व समृद्धि के लिए प्रार्थना की. हर पीपल वृक्ष पर धार्मिक आयोजन की झलक दिखाई दी, जहां महिलाएं अपने परिवार के लिए मंगलकामनाएं करती रहीं.
सतना में आस्था और परंपरा का संगम
सतना की महिलाओं ने सोमवती अमावस्या के इस पर्व को पूरे उत्साह और भक्ति भाव के साथ मनाया. यह आयोजन भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों और उसकी समृद्ध परंपराओं को उजागर करता है.
FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 17:59 IST