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हवन में आहुति देते समय क्यों बोला जाता है स्वाहा, इसके बिना क्यों नहीं होता यज्ञ पूरा? एक्सपर्ट से जानें जवाब

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हरिद्वार. भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से हवन करना बहुत ही श्रेष्ठ और शुभ बताया गया है. कोई भी मांगलिक कार्य करने से पूर्व हवन यज्ञ करने की प्रथा है. हिंदू धर्म में प्राचीन समय से हवन यज्ञ करने की प्रथा शुभ/मांगलिक कार्य में अनिवार्य होती है. शास्त्रों, ग्रंथो, वेदों, पुराणों में हवन विधि-विधान से करने सभी दोष और नकारात्मक प्रभाव खत्म होने की धार्मिक मान्यता बताई गई है. अगर हवन शास्त्रों में बताई गई विधि से नहीं किया जाए तो उसका कोई लाभ नहीं मिलता.

हवन करते समय जब हम उसमें आहुति डालते हैं तो उस समय स्वाहा शब्द का उच्चारण जरूर किया जाता है. वैदिक मंत्रों का उच्चारण करने के आखिर में स्वाहा शब्द हवन करते हुए जरूर बोला जाता है जिसके बाद हवन पूर्ण होता है और उसका संपूर्ण फल, नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. कभी सोचा है कि इस शब्द का इस्तेमाल अंत में क्यों करते हैं? आइये जानें.

क्या कहना है एक्सपर्ट का
हवन करते हुए स्वाहा शब्द क्यों बोलते हैं, इसकी ज्यादा जानकारी Bharat.one को देते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं की घर की सुख शांति, दरिद्रता, नकारात्मक प्रभाव आदि को खत्म करने के लिए हवन करना बेहद जरूरी होता है. जब कोई व्यक्ति मांगलिक कार्य या फिर कोई गाड़ी, प्रॉपर्टी या अन्य उपयोग होने वाली वस्तु खरीदता हैं तो घर में हवन यज्ञ जरूर करता हैं. घर में हवन करने से परिवार के सभी सदस्य एकत्रित होकर आहुति देते हैं और आहुति देते समय स्वाहा शब्द बोला जाता है. हवन करते समय जब सामग्री की आहुति दी जाती है तो स्वाहा शब्द बोलने सेवन का संपूर्ण फल प्राप्त होता है.

प्रभु तक पहुंचती है आहुति
वे बताते हैं कि स्वाहा अग्नि देव की पत्नी हैं जो आहुति को अग्नि देव के माध्यम से मंत्र के देवी-देवता या भगवान तक पहुंचाने का कार्य करती हैं. जब हमारी आहुति अग्नि देव के माध्यम से उनके सही स्थान पर पहुंच जाती है तो हमें हवन यज्ञ करने का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सामग्री को स्वाहा अग्नि देव के माध्यम से देवताओं तक पहुंचने का एकमात्र साधन है. हालांकि धार्मिक ग्रंथो के अनुसार स्वाहा को लेकर बहुत सी कथाएं बताई गई हैं.

साधक को मिलता है संपूर्ण फल
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार हिंदू धर्म में कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य के दौरान हवन करना अनिवार्य होता है. देवताओं और भगवान का वास ऊपर आकाश में है साथ ही अग्नि प्रज्वलित होकर आकाश की ओर ही होती है. जब हम देवी-देवताओं और भगवान के निमित्त कोई हवन करते हैं तो वैदिक मंत्रों के उच्चारण करने के बाद में स्वाहा बोला जाता है. स्वाहा अग्नि देव की पत्नी होने की वजह से उस सामग्री को उसके सही स्थान तक पहुंचने का कार्य करती हैं, जिससे साधक को हवन करने का संपूर्ण फल प्राप्त होता है.

ये कथा भी है प्रचलित
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार जब सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी तो भूलोक पर भगवान ब्रह्मा ने कई प्रकार के जीव और मानव को उत्पन्न किया था. मानव के लिए धरती पर खाने पीने की वस्तुएं भी उत्पन्न हुई थी. भूलोक पर जब अन्न का अभाव हुआ था तो भगवान ब्रह्मा ने मनुष्य से अग्नि देव और स्वाहा की उपासना करने को कहा था. इसके बाद हवन यज्ञ करने से धरती पर बारिश हुई और बारिश से खाने पीने की वस्तुएं जल और जल से अन्न की उत्पत्ति हुई. शुभ कार्य करने से पहले हवन करने पर डाली गई आहुति अग्नि देव के माध्यम से देवताओं तक पहुंच जाती है जिससे व्यक्ति को उसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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