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हैदराबाद के पास चिलकुर बालाजी मंदिर: नवरात्रि में भक्ति, शांति और दिव्य ऊर्जा का अनुभव, शहर से दूर प्रकृति में बसा अद्भुत स्थल

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Hyderabad News Hindi : हैदराबाद से कुछ दूर, हरी-भरी पहाड़ियों में स्थित श्री चिलकुर बालाजी मंदिर “हैदराबाद का तिरुपति” कहलाता है. भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित यह पावन स्थल नवरात्रि में विशेष पूजा और भजन-कीर्तन से भक्तों को आत्मिक शांति और अद्भुत अनुभव प्रदान करता है.

हैदराबादः हैदराबाद की भव्यता से कुछ कदम दूर, प्रकृति की गोद में स्थित श्री चिलकुर बालाजी मंदिर भक्तों के लिए एक दिव्य शांति का केंद्र है. भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित यह पावन स्थल अपनी अनूठी आध्यात्मिक छटा के कारण “हैदराबाद का तिरुपति” कहलाता है. नवरात्रि के पावन पर्व पर यहां का वातावरण और भी विशेष हो जाता है जब विशेष पूजा-अनुष्ठानों और घंटों की मधुर ध्वनि से मंदिर गूंज उठता है. मन्दिर के एक पुजारी के अनुसार मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना माना जाता है और इसकी स्थापना से जुड़ी एक रोचक कथा प्रचलित है कहा जाता है.

एक बार एक बहुत बड़े भक्त ने भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन की इच्छा से तिरुपति जाने का फैसला किया. लेकिन यात्रा के दौरान वह बीमार पड़ गए और हैदराबाद के पास चिलकुर नामक जगह पर रुक गए. उस रात भगवान बालाजी ने उनके सपने में आकर कहा कि उन्हें तिरुपति जाने की जरूरत नहीं है. भगवान ने कहा कि वह स्वयं इसी स्थान पर विराजमान होकर भक्त का कल्याण करेंगे अगली सुबह भक्त ने सपने के अनुसार उस स्थान की खुदाई की और वहां पर भगवान वेंकटेश्वर की एक अत्यंत मनोहारी मूर्ति प्राप्त की. इसी मूर्ति की स्थापना करके इस मंदिर का निर्माण करवाया गया इस घटना के बाद से ही यह मान्यता फैल गई कि जो भक्त तिरुपति जाने का सामर्थ्य नहीं रखते उनके लिए भगवान स्वयं चिलकुर में प्रकट हुए हैं. इसीलिए इसे “हैदराबाद का तिरुपति” कहा जाने लगा.

मंदिर की विशेषताएं और आकर्षण
यह मंदिर शहर की भीड़-भाड़ से दूर, हरी-भरी पहाड़ियों और प्रकृति की गोद में बसा है. यहां का शांत और सुकून भरा माहौल दर्शनार्थियों को तुरंत आत्मिक शांति प्रदान करता है मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है जिसमें एक सुंदर गोपुरम और विशाल प्रांगण है.

मनोकामना पूर्ति
इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह मानी जाती है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है खासकर विवाह और  नौकरी से जुड़ी मन्नतें. तिरुपति की तरह यहां भी मंदिर तक पहुंचने के लिए एक छोटी सी पहाड़ी चढ़नी पड़ती हैं इसे वादी कहते हैं. यह चढ़ाई भक्ति और समर्पण का प्रतीक है.

नवरात्रि और विशेष उत्सव
नवरात्रि के समय यहां का वातावरण और भी दिव्य हो जाता है. विशेष पूजा, हवन, और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है. घंटियों की आवाज और मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण गूंज उठता है.

दर्शन का अनुभव
मंदिर में दर्शन करने का अनुभव अद्वितीय है. भक्तों का कहना है कि यहां की शांति और सकारात्मक ऊर्जा सभी तनावों को दूर कर देती हैं. मंदिर परिसर में बैठकर प्रकृति की सुंदरता को निहारना और आरती में शामिल होना एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है.

कैसे पहुंचें और समय
हैदराबाद से लगभग 33 किमी दूर शमशाबाद मार्ग पर चिलकुर गांव में स्थित है यहां निजी वाहन, टैक्सी या बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है. सुबह लगभग 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम को 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक यहां दर्शन किए जाते हैं.

Rupesh Kumar Jaiswal

रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें

रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन… और पढ़ें

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हैदराबाद का तिरुपति: चिलकुर बालाजी मंदिर में नवरात्रि के दौरान दिव्य अनुभव

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