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Aligarh Dauji Maharaj Mandir: अलीगढ़ का दाऊजी महाराज मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि 129 साल पुरानी आस्था और शिल्पकला की अनमोल धरोहर है. हाथों से बनी नक्काशी, प्राचीन कथा और भक्तों की गहरी श्रद्धा इसे…और पढ़ें
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता इसकी अद्भुत नक्काशी और हाथों से बनी कलाकृतियां हैं. उस दौर में जब मशीनों का प्रचलन नहीं था, तब देशभर से आए कारीगरों ने अपने हुनर से मंदिर का निर्माण किया. करीब 18 वर्षों की कठिन मेहनत के बाद यह मंदिर अपनी पूरी भव्यता के साथ खड़ा हुआ.
मंदिर की देखरेख करने वाले सर्वेश कुमार बताते हैं कि पहले उनके परबाबा लाला कल्याण राज ने इसकी स्थापना की थी. उसके बाद उनके बाबा ज्वाला प्रसाद और फिर पिता रमेश चंद्र ने मंदिर की जिम्मेदारी निभाई. वर्ष 2014 में श्री दाऊजी महाराज ट्रस्ट का गठन हुआ. तभी से इस मंदिर की देखभाल ट्रस्ट द्वारा की जा रही है.
हीरे-जवाहरात से जुड़ी रोचक कथा
इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प कथा भी लोगों में प्रचलित है. कहा जाता है कि कुछ साधु लाला कल्याण राज के पास आए और उन्हें हीरे-जवाहरात सौंपकर यह वचन दिया कि यदि छह महीने तक वे वापस न आएं तो उनके बदले एक मंदिर का निर्माण करा दिया जाए. जब साधु वापस नहीं लौटे, तो लाला कल्याण राज ने दाऊजी महाराज का मंदिर बनवाना शुरू किया. मान्यता है कि उसी समय से दाऊजी महाराज की कृपा उन पर इतनी हुई कि वे अलीगढ़ के सबसे संपन्न लोगों में गिने जाने लगे.
सर्वेश कुमार बताते हैं कि भक्तों का विश्वास है कि दाऊजी महाराज मंदिर में 41 दिन श्रद्धा से पूजा करने पर सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और ग्रहदोष का असर समाप्त हो जाता है. लोगों का यह भी मानना है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से तरक्की और सुख-समृद्धि मिलती है.
आज का धार्मिक महत्व
आज यह मंदिर अलीगढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शुमार है. हर दिन यहां दूर-दराज़ से श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाएं लेकर दाऊजी महाराज के चरणों में शीश नवाते हैं. आस्था और भव्यता का यह संगम इसे एक अद्वितीय धरोहर बनाता है.