Home Dharma 6000 साल पुराना दिल्ली का चमत्कारी मंदिर, माता रानी के नाम भक्त...

6000 साल पुराना दिल्ली का चमत्कारी मंदिर, माता रानी के नाम भक्त लिखते हैं खत, यहां है भगवान श्री कृष्ण का अनोखा आसन

0


नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है, जिसके बारे में आपने बहुत कम सुना होगा, लेकिन यह मंदिर सिद्धपीठ और 6000 साल पुराना है. हैरानी की बात यह है कि इस मंदिर की स्थापना भगवान श्री कृष्ण ने की थी. वहीं, जिस आसन पर बैठकर उन्होंने इस मंदिर की स्थापना की थी. वह आसान आज भी मंदिर में मौजूद है, जिस पर यहां के पुजारी बैठते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं.

इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त माता रानी के नाम अपना खत लिखते हैं और उन चिट्ठियों को रात में मंदिर के पुजारी माता रानी के सामने बैठकर उनको सुनाते हैं. इस मंदिर का नाम योगमाया मंदिर है. जो कि दिल्ली के महरौली में स्थित है. इस मंदिर के महंत आनंद शर्मा से Bharat.one की टीम ने खास बातचीत की.

मंदिर के पुजारी ने बताया

मंदिर के पुजारी आनंद शर्मा ने बताया कि योगमाया भगवान श्री कृष्ण की बहन हैं और महाभारत में इसका वर्णन मिलता है. योगमाया का जन्म यशोदा के पास हुआ था, लेकिन जब जेल में जन्मे भगवान श्री कृष्णा को कंस से बचाने के लिए वसुदेव उनको नदी के सहारे छोड़ देते हैं, जिससे वह यशोदा के पास पहुंच जाते हैं. तब कंस देवकी के पास आकर देखता है तो कन्या का जन्म हुआ है, तो वह सोचता है कि शायद यह कन्या भी आकाशवाणी के मुताबिक उसका काल बन सकती है.

ऐसे में जैसे ही योगमाया को मारने के लिए कंस उठाता है. तब वह आसमान में चली जाती हैं और उनके तीन टुकड़े हो जाते हैं. योगमाया का पहला अंश अरावली पर्वत पर गिरा है. दूसरा बिजली बन गया और तीसरा विंध्याचल में मौजूद है. चरण के रूप में यहां पर योगमाया पिंडी के रूप में मौजूद हैं, जिसकी स्थापना स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने की थी.

योगमाया की मदद से हुआ था जयद्रथ का वध

पुजारी आनंद शर्मा ने बताया कि महाभारत के समय भगवान श्री कृष्णा ने यहां पर योगमाया मंदिर की स्थापना की थी. पांडवों के साथ वह यहां पर आए थे और उन्होंने योगमाया से यह प्रार्थना की थी कि वह अपनी माया से सूर्यास्त कर दें. ताकि अर्जुन जयद्रथ को मार सकें. तब योगमाया ने ऐसा ही किया था.

वहीं, महाभारत युद्ध में अभिमन्यु की मृत्यु के बाद अर्जुन ने सूर्यास्त से पहले जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा ली थी और तब योगमाया ने सूर्यास्त का आभास कराकर अर्जुन को जयद्रथ का वध करने में मदद की.

नवरात्रि में लगती है भीड़

यह मंदिर में नवरात्रि में मंदिर सुबह 4:00 बजे से लेकर रात 11:00 तक खुला रहता है. यहां दूर-दूर से भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. साथ ही माता रानी को श्रृंगार का पूरा सामान चढ़ाते हैं. कहते हैं कि जो भी अपनी मनोकामना यहां लेकर आता है. माता रानी उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. यहां पर नवरात्रि में दर्शन का विशेष महत्व है.

मान्यता है कि नवरात्रि में यहां पर माता रानी की शक्तियां तीन गुनी ज्यादा हो जाती हैं. इसलिए यहां जो भी भक्त आते हैं. उन्हें यहां माता रानी को सिर्फ श्रृंगार का सामान अर्पित करना होता है. माता रानी के अलावा यहां पर राम दरबार, राधा कृष्ण, गौरी शिव शंकर परिवार, शिवलिंग, श्री गणेश, भैरवनाथ और भगवान विष्णु के सभी अवतार भी मौजूद हैं.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version