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Ayodhya news: शस्त्र पूजन की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. प्राचीन काल में राजा महाराजा अपने शास्त्र की पूजा आराधना करते थे.
अयोध्या: सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है. विजयदशमी का पर्व जिसे दशहरे के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन रावण का दहन किया जाता है और शस्त्र पूजा किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर दशहरे के दिन ही क्यों शस्त्र पूजा होता है, तो चलिए इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं..
क्यों की जाती है शस्त्र पूजा
शस्त्र पूजन की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. प्राचीन काल में राजा महाराजा अपने शस्त्र की पूजा आराधना करते थे. सेना में भी इस दिन शस्त्रों की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि शस्त्र पूजा करने से व्यक्ति के साहस और शक्ति में तो वृद्धि होती है. साथ ही, कार्यक्षेत्र में भी सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
विजयादशमी के दिन श्रीराम ने की थी शस्त्र पूजा
राम कचहरी मंदिर के महंत शशिकांत दास ने Bharat.one से बातचीत करते हुए बताया कि विजयदशमी के दिन शस्त्र की पूजा को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. जब प्रभु श्री राम ने माता सीता को रावण की कैद से मुक्ति दिलाने के लिए युद्ध कर रावण का वध किया तब श्री राम ने उस युद्ध पर जाने से पहले शस्त्र की पूजा की थी.
तो दूसरी कथा के अनुसार धार्मिक ग्रंथो के अनुसार कहा जाता है एक समय ऐसा आया जब महिषासुर नामक पराक्रमी राक्षस ने स्वर्ग पर अधिकार जमा लिया. तब देवताओं ने शक्ति का आवाहन किया इसके बाद देवी मां प्रकट हुई .तब देवताओं ने महिषासुर का अंत करने के लिए देवी को अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र प्रदान किये, जिससे देवी ने महिषासुर का वध किया. और इस युद्ध में देवताओं के शस्त्र बहुत काम आए इसलिए नवरात्रि के अंतिम दिन यानी की विजयदशमी के दिन शस्त्र की पूजा की जाती है.
कैसे करें शस्त्रों की पूजा
दशहरे के दिन सभी शस्त्र औजार, तलवार, बंदूक ,धनुष बाण की साफ सफाई करनी चाहिए. साफ वस्त्र पर सभी शस्त्र को व्यवस्थित तरीके से रखना चाहिए. इसके बाद उस पर गंगाजल डालना चाहिए. हल्दी चंदन और अच्छत से तिलक करना चाहिए. फूल अर्पित करना चाहिए. मंत्र का जाप करना चाहिए .इसके बाद माता का ध्यान करते हुए दीपक प्रज्वलित करना चाहिए. इसके बाद आरती करनी चाहिए. दोनों हाथों से मां काली का ध्यान करते हुए अपने परिवार की रक्षा और कार्यक्षेत्र में तरक्की के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.