Home Dharma Ayurvedic astrology and vitamin B12 deficiency। ग्रह दोष से शरीर में कमजोरी...

Ayurvedic astrology and vitamin B12 deficiency। ग्रह दोष से शरीर में कमजोरी क्यों आती है

0


B12 Deficiency In Astrology: हमारा शरीर केवल मांस, हड्डियों और ब्लड से नहीं बना, बल्कि इसमें ग्रहों और प्रकृति की सूक्ष्म एनर्जी भी सक्रिय मानी जाती है. यही कारण है कि आयुर्वेदिक ज्योतिष में स्वास्थ्य को समझने के लिए ग्रहों की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया जाता है. हर ग्रह शरीर के किसी न किसी अंग या तंत्र से जुड़ा होता है – कोई ब्लड का प्रतिनिधि है, कोई नर्वस सिस्टम का, तो कोई पाचन शक्ति का कारक माना जाता है. इसी दृष्टि से अगर हम आधुनिक चिकित्सा में एक सामान्य लेकिन गंभीर कमी Vitamin B12 की कमी की बात करें, तो ज्योतिष इसका गहरा संबंध चार प्रमुख ग्रहों – सूर्य, मंगल, बुध और गुरु से जोड़ता है. Vitamin B12 हमारे ब्लड, एनर्जी, दिमाग और पाचन से सीधा जुड़ा होता है. जब ये ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में होते हैं, तो शरीर में वह संतुलन बिगड़ने लगता है जो B12 के निर्माण, अवशोषण और उपयोग के लिए ज़रूरी है. इस आर्टिकल में हम समझेंगे भोपाल निवासी प्रीति सिंह, न्यूमेरोलॉजिस्ट एवं मेडिकल एस्ट्रोलॉजर से कि किस प्रकार ये चार ग्रह शरीर के भीतर अपनी भूमिका निभाते हैं और कैसे इनके असंतुलन से B12 की कमी के लक्षण उभरने लगते हैं.

सूर्य – ब्लड और जीवनशक्ति का प्रतीक
सूर्य हमारे शरीर की जीवनशक्ति का मुख्य स्रोत है. यह ब्लड निर्माण, अस्थि मज्जा और प्रतिरक्षा से जुड़ा माना जाता है.
जब सूर्य जन्मकुंडली में कमजोर या प्रभावित होता है, तो व्यक्ति को थकान, ब्लड की कमी, और एनर्जी में गिरावट महसूस होती है. Vitamin B12 का सीधा संबंध भी ब्लड और हीमोग्लोबिन से है, इसलिए सूर्य की कमजोरी इस कमी को बढ़ा सकती है.
अच्छा सूर्य शरीर को नई एनर्जी देता है, ब्लड को मजबूत बनाता है और कोशिकाओं में ऑक्सीजन प्रवाह को सही रखता है.
Ayurvedic astrology and vitamin B12 deficiency
दोष से शरीर में कमजोरी क्यों आती है,

मंगल – एनर्जी और ब्लड सर्कुलेशन का कंट्रोल
-मंगल शरीर में जोश, शक्ति और साहस का प्रतीक है. इसका सीधा संबंध ब्लड और मांसपेशियों से है.
-जब मंगल कमजोर पड़ता है, तो व्यक्ति में आलस्य, कमजोरी और ब्लड की गुणवत्ता में गिरावट देखी जाती है.
-Vitamin B12 की कमी से भी यही लक्षण उभरते हैं – थकान, कमजोरी और शरीर में सुस्ती.
-यानी कि अगर मंगल ठीक तरह से सक्रिय नहीं है, तो शरीर एनर्जी को सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाता.
-मंगल की मजबूती बढ़ाने के लिए लाल रंग, सूर्योदय में सूर्य को जल अर्पित करना और लोहे से जुड़ी चीज़ें शरीर के पास रखना लाभकारी माना जाता है.

बुध – नर्वस सिस्टम और मानसिक संतुलन का दर्पण
-बुध हमारे शरीर में नर्वस सिस्टम, याददाश्त और मानसिक कार्यप्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है.
-Vitamin B12 की कमी से जब हाथ-पैर सुन्न होने लगते हैं, झनझनाहट महसूस होती है, या याददाश्त कमजोर पड़ती है, तो यह बुध से जुड़ा दोष माना जाता है.
-कमजोर बुध व्यक्ति को मानसिक रूप से थका देता है, जिससे एकाग्रता और विचार-शक्ति प्रभावित होती है.
-अगर कुंडली में बुध कमजोर हो, तो ध्यान, हरित रंग, और संचार से जुड़ी गतिविधियाँ इसे मजबूत करने में सहायक होती हैं.

गुरु – पाचन और अवशोषण का मार्गदर्शक
-गुरु यानी बृहस्पति शरीर के अंदर ज्ञान और पाचन शक्ति दोनों का प्रतीक है.
-Vitamin B12 का अवशोषण हमारे पाचन तंत्र पर निर्भर करता है.
-यदि गुरु ग्रह कमजोर हो, तो शरीर पोषक तत्वों को सही तरह से पचा नहीं पाता और उनकी कमी बढ़ने लगती है.
-ऐसे व्यक्ति में भूख की कमी, पेट फूलना, और शरीर में भारीपन जैसे लक्षण दिख सकते हैं.
-गुरु को मजबूत करने के लिए पीले रंग का सेवन, हल्दी, और दान-पुण्य जैसे कर्म लाभदायक माने गए हैं.

ग्रहों का संयुक्त प्रभाव
-जब सूर्य और मंगल दोनों कमजोर हों, तो ब्लड निर्माण और एनर्जी स्तर गिरने लगते हैं.
-बुध के दोष से नसें कमजोर होती हैं और झनझनाहट जैसे लक्षण सामने आते हैं.
-गुरु का प्रभाव कम हो जाए तो शरीर Vitamin B12 को अवशोषित नहीं कर पाता, चाहे आहार में उसकी मात्रा पर्याप्त ही क्यों न हो.
-यानी यह कमी केवल आहार की नहीं, बल्कि ग्रहों की असंतुलित स्थिति की भी हो सकती है.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version