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Bhaum Pradosh Vrat 2025 Date: फाल्गुन का पहला प्रदोष व्रत कब? त्रिपुष्कर योग में मिलेगा 3 गुना फल, जानें तारीख, मुहूर्त

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Bhaum Pradosh Vrat 2025 Date: फाल्गुन माह का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन है, इसलिए यह भौम प्रदोष व्रत है. इस बार भौम प्रदोष व्रत के दिन त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें तीन गुना फल प्राप्त होता ह…और पढ़ें

पहला फाल्गुन प्रदोष व्रत कब? बना त्रिपुष्कर योग, जानें तारीख, मुहूर्त, महत्व

भौम प्रदोष व्रत 2025

Bhaum Pradosh Vrat 2025 Date: फाल्गुन माह का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन है, इसलिए यह भौम प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत हर माह में दो बार आता है. एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में. इस बार भौम प्रदोष व्रत के दिन त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें पूजा, व्रत, साधना, शुभ कार्यों आदि को करने से तीन गुना फल प्राप्त होता है. भौम प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने के लिए शिव भक्तों को लगभग ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि फाल्गुन का पहला प्रदोष व्रत या भौम प्रदोष व्रत कब है? प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त और तारीख क्या है?

फाल्गुन पहला प्रदोष व्रत 2025 तारीख
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन के पहले प्रदोष व्रत के लिए जरूरी फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी तिथि 25 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर प्रारंभ होगी. यह तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनट तक मान्य है. ऐसे में फाल्गुन का पहला प्रदोष व्रत यानि भौम प्रदोष व्रत 25 फरवरी को है.

फाल्गुन पहला प्रदोष व्रत 2025 मुहूर्त
25 फरवरी को फाल्गुन के पहले प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की पूजा सूर्यास्त के बाद की जाएगी. शिव पूजा का समय शाम में 6 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 57 तक है. इस समय में आपको पूजा करनी चाहिए. वैसे दिन में भी प्रदोष की पूजा लोग करते हैं.

प्रदोष व्रत के दिन का ब्रह्म मुहूर्त 05:10 ए एम से 06:00 ए एम तक है. इस समय में आप स्नान, दान, दैनिक पूजा आदि कर सकते हैं. उस दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 11 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक है.

त्रिपुष्कर योग में फाल्गुन पहला प्रदोष
फाल्गुन के पहले प्रदोष व्रत के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है. त्रिपुष्कर योग सुबह में 6 बजकर 50 मिनट से बनेगा, जो दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. त्रिपुष्कर योग के अलावा उस दिन व्यतीपात योग और वरीयान भी बनेंगे. व्यतीपात योग सुबह में 08:15 बजे तक है, उसके बाद व्यतीपात योग बनेगा.

प्रदोष व्रत पर उत्तराषाढ नक्षत्र और श्रवण नक्षत्र होंगे. उत्तराषाढ नक्षत्र प्रात:काल से लेकर शाम में 6 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से श्रवण नक्षत्र होगा.

प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत और शिव पूजा करने से लोगों के कष्ट, रोग, दोष आदि मिटते हैं. महादेव के आशीर्वाद से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. उसके धन, सुख, समृद्धि, संपत्ति आदि में बढ़ोत्तरी होती है. इस दिन आप शिव जी का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करके अधिक से अधिक लाभ पा सकते हैं.

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