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Chanakya Niti: अपने और परायों की कैसे करें पहचान, आचार्य चाणक्य ने बताया सही तरीका

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Chanakya Niti: चाणक्य नीति में लिखते हैं कि सगे-संबंधियों से लेकर बंधु-बांधवों तक हर किसी को इन स्थितियों में समझ सकते हैं.

अपने और परायों की कैसे करें पहचान, आचार्य चाणक्य ने बताया सही तरीका

Chanakya Niti: अपने और परायों की कैसे करें पहचान, आचार्य चाणक्य ने बताया सही तरीका

हाइलाइट्स

  • सेवक की परख महत्वपूर्ण कार्य में होती है.
  • रिश्तेदारों की परख विपत्ति के समय होती है.
  • पत्नी की परख धन के अभाव में होती है.

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने समय-समय पर समाज की विभिन्न परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया और लोगों को जीवन जीने की सही दिशा बताने के लिए कई नीतियां दी हैं. चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उस समय में होती थी. आचार्य चाणक्य द्वारा दी गई इन नीतियों में उन्होंने सगे-संबंधियों से लेकर बंधु-बांधवों तक हर किसी को परखने के लिए कुछ सूत्र दिये हैं, जिनमें अपनों और परायों को बीच में फर्क करना सिखाया है. आइए चाणक्यनीति के इस श्लोक में माध्यम से जानते हैं कैसे करें अपने व पराये की पहचान

श्लोक-
जानीयात् प्रेषणे भृत्यान् बान्धवान् व्यसनागमे.
मित्रं चापत्तिकाले तु भार्यां च विभवक्षये..

अर्थात: सेवक की परख किसी महत्वपूर्ण काम में, बंधु-बांधवों की परख विपत्ति के समय और पत्नी की परख धन के नष्ट हो जाने पर होता है.

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सेवक (नौकर) की परख
चाणक्य नीति के अनुसार, किसी सेवक के असली चरित्र का पता तब चलता है, जब उसे कोई महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण कार्य सौंपा जाता है. यह वह समय होता है जब उसकी ईमानदारी और निष्ठा का वास्तविक मूल्यांकन किया जा सकता है. क्योंकि जब जिम्मेदारी दी जाती है उसी समय पर उसकी कार्यशैली व ईमानदारी का भी पता लगता है.

विपत्ति में सगे-संबंधियों व रिश्तेदारों की परख
चाणक्य के अनुसार, सगे-संबंधी और रिश्तेदार तभी वास्तविक रूप से पहचाने जाते हैं, जब जीवन में संकट आता है. जब आप किसी कठिनाई या गंभीर बीमारी से जूझ रहे होते हैं, तब यह स्पष्ट होता है कि असल में कौन आपके साथ खड़ा है और कौन नहीं. विपत्ति के समय में ही सच्चे रिश्तों की पहचान होती है.

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धन के अभाव में पत्नी के प्रेम की परख
आचार्य चाणक्य ने पत्नियों के बारे में भी यह सलाह दी है कि जब व्यक्ति के पास धन नहीं होता, या उसकी स्थिति बिगड़ जाती है, तब ही पत्नी की असली पहचान होती है. जब आदमी की वित्तीय स्थिति खराब होती है, या वह अचानक आर्थिक संकट से गुजरता है, तब यही वह समय होता है, जब पत्नी की निष्ठा और उसके सच्चे प्यार का मूल्यांकन किया जा सकता है.

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