Home Dharma chaurchan puja 2025 Today Know chaurchan sampurna puja vidhi with mantra and...

chaurchan puja 2025 Today Know chaurchan sampurna puja vidhi with mantra and moonrise time | आज मिथिला का प्रमुख पर्व चौरचरन पूजा, जानें संपूर्ण पूजन विधि मंत्र समेत और चन्द्रोदय का समय

0


Last Updated:

Chaurchan Puja 2025 Today: चौरचरन पूजा को मिथिला की लोक-आस्था का प्रतीक माना जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे परिवार की रक्षा और संतान की समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. लोक परंपरा है कि इस व्रत से जीवन में सुख, शांत…और पढ़ें

आज मिथिला का प्रमुख पर्व चौरचरन पूजा, जानें संपूर्ण पूजन विधि मंत्र समेत
Chaurchan Puja 2025 Today: मिथिला क्षेत्र में चौरचरन पूजा का विशेष महत्व है और इसे चौठचंद्र के नाम से भी जाना जाता है. चौरचरन पूजा में चंद्रमा की पूजा करने का विधान है. मिथिला क्षेत्र के लोगों की मान्यताओं के अनुसार, चंद्रमा को अर्घ्य और पूजा अर्चना करने से मिथ्या कलंक से बचाव होता है और यह पूजा सूर्यास्त के बाद और चंद्रोदय के समय की जाती है. इस पर्व को खासतौर पर महिलाएं संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और पारिवारिक कल्याण के लिए करती हैं. इस दिन घर-घर में पारंपरिक लोकगीत गूंजते हैं और महिलाएं व्रत रखकर पूजा करती हैं.

चौरचरन पूजा संपूर्ण पूजा विधि
चौरचरन पूजा में महिलाएं और पुरुष शाम के 6 बजे अर्घ्य देते हैं. पूजा करने से पहले गाय के गोबर से घर को अच्छे से लीपा जाता है और चावल के आटे से अरिपन (पारंपरिक रंगोली) बनाई दाती है और इससे आंगन को सजाया जाता है. इसके बाद केले के पत्तों पर खीर, मालपुआ, दाल की पूरी, खीरा, मौसमी फल, ठेकुआ, चार तरह की हांडी और उनमें दही रखा जाता है और सभी चीजें चंद्रमा को अर्पित की जाती हैं. इसके बाद व्रत करने वाले चंद्र देव को अर्घ्य देते हैं और अर्घ्य देते समय हाथ में कुछ चावल और फल लेकर मंत्र पढ़ते हैं और मंत्र है – दधिशंखतुषारांभ क्षीरोदार्णव संभवम् नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणमष।। उसके बाद व्रत करने वाले और घर के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं. चौरचरन की पूजा के समय महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हैं, जो है – आई मिथिला में घरे घरे चौरचरन होई छै, चौरचन के चंदा सुहाग गे बहिना आदि गीत गाए जाते हैं. घर के बुजुर्ग रोट तोड़कर प्रसाद को सभी में बांट देते हैं. चौरचन पूजा में दही-खीर, रोट, दाल-पूरी और मौसमी फल विशेष प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं.

चन्द्रोदय का समय – 08:34 ए एम
चन्द्रास्त का समय – 08:29 पी एम

पूजा का समय – 6 बजकर 20 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक

चौरचरन पूजा का महत्व
छठ पर्व में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, ठीक उसी तरह चौरचरन पूजा में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. चौरचरन पूजा की विशेष बात यह है कि भारत के अन्य हिस्सों में भादों की चौथ को कलंकित चंद्रमा का दर्शन वर्जित माना गया है. वहीं मिथिला में इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्रों में कहा गया है कि चौरचरन पूजा से भक्त को जीवन में स्थिरता, मन शांत, सुख-समृद्धि और धन लाभ प्राप्त होता है. साथ ही कुंडली में चंद्रमा की स्थिति भी मजबूत होती है.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

आज मिथिला का प्रमुख पर्व चौरचरन पूजा, जानें संपूर्ण पूजन विधि मंत्र समेत

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version