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Navratri 2025: नवरात्रि पर जरूरी है कन्या पूजन, उज्जैन के आचार्य से जानें सही विधि और पूजन सामग्री

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Navratri Kanya Pujan Vidhi: नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. नवरात्रि के 8वें या 9वें दिन कन्या पूजन किया जाता है. इसमें 9 छोटी लड़कियों को भोजन कराया जाता है और दक्षिणा आदि देकर सम्मानपूर्वक विदा किया जाता है.

उज्जैन. हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिन सबसे पवित्र दिनों में गिने जाते हैं. नवरात्रि में माता दुर्गा के 9 रूपों की पूजा-आराधना की जाती है. सालभर में कुल चार नवरात्रि आती हैं. हर साल अश्विन माह में शारदीय नवरात्रि धूमधाम से मनाई जाती है. यह पर्व पूर्णतया जगत की देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है. इस शुभ अवसर पर देवी मां और उनके 9 रूपों की पूजा की जाती है, साथ ही उनके निमित्त 9 दिनों तक उपवास रखा जाता है. इन 9 दिनों में विशेष रूप से अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है. यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह बच्चों के प्रति स्नेह और सम्मान का भी प्रतीक है. मान्यता है कि कन्या रूप में देवी भगवती हमारे बीच पधारती हैं, इसलिए उनका आदर और सेवा करना बेहद पुण्यदायक माना जाता है. आइए जानते हैं, उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से कन्या पूजन की विधि.
नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. यह नवरात्रि के 8वें और 9वें दिन किया जाता है. कन्या पूजन में 9 छोटी लड़कियों को भोजन कराया जाता है और दक्षिणा आदि देकर सम्मानपूर्वक विदा किया जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इन 9 देवियों को मां दुर्गा के 9 स्वरूप माना जाता है.
कन्या पूजन की विधि
कन्या पूजन करने के लिए इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इसके बाद पूजा करके घर में कन्याओं को बुलाया जाता है. जो प्रसाद तैयार किया गया है, उसे पहले माता को भोग लगाया जाता है. कन्याओं को घर बुलाकर उनके पैर धोए जाते हैं. कन्याओं के साथ एक लांगुर के रूप में बालक को भी बुलाया जाता है. पैर धोने के बाद कन्याओं को आसन पर बिठाया जाता है. इसके बाद उनके हाथों में कलावा बांधा जाता है, माथे पर कुमकुम लगाया जाता है और उनके समक्ष थाली परोसी जाती है.

पूरी, काले चने और हलवा
प्रसाद की थाली में पूरी, काले चने और हलवा परोसा जाता है. इसके साथ ही थाली में नारियल का टुकड़ा रखा जाता है, साथ ही फल भी प्लेट में रखे जाते हैं. कन्याओं को शगुन के रूप में रुपये या फिर चुनरी, चूड़िया, नए कपड़े या कोई और चीज दी जा सकती है. अंत में जब कन्याएं भोजन ग्रहण कर लेती हैं, तो उनके पैर छूकर उन्हें विदा किया जाता है. जाते हुए माता का जयकारा लगाया जाता है.

Rahul Singh

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

राहुल सिंह पिछले 10 साल से खबरों की दुनिया में सक्रिय हैं. टीवी से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई संस्थानों के साथ काम किया है. पिछले चार साल से नेटवर्क 18 समूह में जुड़े हुए हैं.

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