Home Dharma Chhath Sandhya Arghya Vidhi: सांध्य अर्घ्य की विधि क्या है? एक गलती...

Chhath Sandhya Arghya Vidhi: सांध्य अर्घ्य की विधि क्या है? एक गलती से पूजा रह सकती अधूरी, ध्यान रखें ये 5 बातें

0


Last Updated:

Chhath 2025 Sandhya Arghya Vidhi: छठ पर 27 अक्टूबर को व्रती सूर्यास्त 05 बजकर 40 मिनट पर नदी किनारे ठेकुआ, फल व प्रसाद के साथ संध्या अर्घ्य देंगे, साफ-सफाई और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें.

ख़बरें फटाफट

जानिए, सांध्य अर्घ्य की विधि क्या है? (AI)

Chhath 2025 Sandhya Arghya Vidhi: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) की शुरुआत हो चुकी है. यह पर्व आज 25 अक्तूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा. 26 अक्तूबर को यानी छठ के दूसरे दिन खरना से व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं. इसलिए रविवार शाम को गुड़ और चावल की खीर बनाकर उसका भोग लगाएंगे. इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती निर्जला व्रत रखकर अगले दिन यानी 27 अक्टूबर (सोमवार) शाम को अस्ताचलगामी सूर्य यानी सांध्य में सूर्य को अर्घ्य देंगी. ऐसे में सवाल है कि आखिर सांध्य अर्घ्य की विधि क्या है? सूर्यास्त और सूर्योदय का सही समय क्या है? आइए जानते हैं इस बारे में-

डूबते सूर्य देव क्यों देते हैं अर्घ्य

यह छठ पूजा का सबसे मुख्य दिन है, जो कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को पड़ता है. इस दिन व्रती नदी, तालाब या जलाशय के किनारे खड़े होकर सूर्य देव और छठी मैया को जल अर्पित करते हैं. भक्त सूप में ठेकुआ, फल, गन्ना और समेत अन्य पारंपरिक प्रसाद सजाकर डूबते हुए सूर्य देव को पहला अर्घ्य देते हैं. धार्मिक मान्यता है कि, संध्या अर्घ्य व्रती के लिए आध्यात्मिक शुद्धि और मानसिक शांति का अवसर होता है.

संध्या अर्घ्य के समय ध्यान रखने योग्य बातें

– सूर्यास्त का सही समय पंचांग अनुसार देखा जाना चाहिए. समय से पहले जलाशय पर पहुंचकर सभी तैयारियां पूरी कर लें, ताकि अर्घ्य विधि पूरी भक्ति और ध्यान के साथ दी जा सके.

– अर्घ्य स्थल और उसके आसपास का क्षेत्र पूरी तरह स्वच्छ होना चाहिए. यह न केवल पूजा की पवित्रता को बढ़ाता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है.

– जलाशय के किनारे सावधानी से खड़े रहें और छोटे बच्चों के साथ विशेष ध्यान दें. इस दिन प्रसाद का वितरण भी शुभ माना जाता है. अर्घ्य देने के बाद तैयार प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों में बांटना परंपरा का हिस्सा है और सौहार्द्र बढ़ाने का माध्यम भी है.

– अंत में, शांति और ध्यान बनाए रखें. अर्घ्य देने के समय मन में किसी प्रकार की चिंता या उलझन न रखें. पूरी भक्ति और श्रद्धा के साथ अर्घ्य देना ही इस दिन की वास्तविक महत्ता को दर्शाता है और जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक संतुलन लाता है.

सूर्यास्त और सूर्योदय का समय
  • 27 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगा.
  • 28 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर होगा.

संध्या अर्घ्य की सही विधि (Sandhya Arghya Tips)

  • संध्या अर्घ्य के समय शुद्ध वस्त्र पहनें. व्रती आम तौर पर पीले या सफेद वस्त्र पहनते हैं.
  • संध्या अर्घ्य के समय नदी, तालाब या जलाशय के किनारे साफ और सुरक्षित स्थान चुनें.
  • प्रसाद के रूप में पारंपरिक प्रसाद जैसे ठेकुआ, फल, सिंघाड़ा और गुड़ तैयार करें.
  • सूर्य अर्घ्य से पहले शुद्ध दीपक और घी तैयार रखें. पूरे समय पूरी भक्ति और ध्यान में रहें.

ललित कुमार को पत्रकारिता के क्षेत्र में 8 साल से अधिक का अनुभव है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत प्रिंट मीडिया से की थी. इस दौरान वे मेडिकल, एजुकेशन और महिलाओं से जुड़े मुद्दों को कवर किया करते थे. पत्रकारिता क… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

Chhath Sandhya Arghya Vidhi: सांध्य अर्घ्य की विधि क्या है? ध्यान रखें 5 बातें

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version