December Vinayaka Chaturthi 2025 Date: इस साल की अंतिम विनायक चतुर्थी पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को है. इस दिन भद्रा लग रही है, जिसका वास स्थान पाताल लोक है. पंचक भी रहेगा. इस विनायक चतुर्थी को विघ्नेश्वर चतुर्थी कहते हैं. इसका व्रत और पूजन करने से सभी प्रकार के विघ्न और बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है. विनायक चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा दोपहर के समय करते हैं. इस बार विनायक चतुर्थी पूजा के लिए आपको 1 घंटा 52 मिनट का शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा. आइए जानते हैं कि पौष विनायक चतुर्थी कब है? विनायक चतुर्थी पूजा का मुहूर्त क्या है?
दिसंबर विनायक चतुर्थी की तारीख
दृक पंचांग के अनुसार, इस साल की अंतिम विनायक चतुर्थी के लिए पौष शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 23 दिसंबर को दोपहर में 12 बजकर 12 मिनट पर होगा. इसका समापन 24 दिसंबर को दोपहर में 1 बजकर 11 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर दिसंबर की विनायक चतुर्थी का व्रत 24 दिसंबर दिन बुधवार को है.
बुधवार को विनायक चतुर्थी का संयोग
इस बार की विनायक चतुर्थी पर बुधवार दिन का शुभ संयोग बना है. विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करते हैं, वहीं बुधवार को भी व्रत रखकर गणेश जी की पूजा होती है. ऐसे में विनायक चतुर्थी व्रत का दोगुना फल प्राप्त होगा.
विनायक चतुर्थी पर हर्षण योग प्रात:काल से लेकर शाम 04:02 पी एम तक है, उसके बाद वज्र रहेगा. वहीं धनिष्ठा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर पूर्ण रात्रि तक है.
विनायक चतुर्थी मुहूर्त
विनायक चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 19 मिनट से दोपहर 1 बजकर 11 मिनट तक है. इस दौरान शुभ-उत्तम मुहूर्त 11:03 ए एम से लेकर दोपहर 12:21 पी एम तक रहेगा. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त 05:22 ए एम से लेकर 06:16 ए एम तक है. उस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है.
पंचक और भद्रा में विनायक चतुर्थी
साल की अंतिम विनायक चतुर्थी के दिन भद्रा और पंचक है. भद्रा का प्रारंभ सुबह में 07:11 ए एम से होगा और दोपहर 01:11 पी एम तक रहेगा. विनायक चतुर्थी के दिन राहुकाल दोपहर में 12:21 पी एम से 01:38 पी एम तक रहेगा.
वहीं पंचक शाम को 07:46 पी एम से लेकर अगले दिन 25 दिसंबर को सुबह 07:12 ए एम तक रहेगा. बुधवार को शुरु होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है. इसे अशुभ नहीं माना जाता है.
विनायक चतुर्थी का महत्व
विनायक चतुर्थी के दिन व्रत और गणेश पूजा करने से जीवन में शुभता बढ़ती है. गणेश जी की कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं और संकट दूर होते हैं. इस दिन पूजा के समय गणेश जी को दूर्वा जरूर अर्पित करें. हालांकि इस दिन चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित होता है.
