गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश जी को विघ्नविनायक, प्रथम पूज्य और सिद्धिदाता कहा गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेशजी का प्राकट्य हुआ था. किसी भी शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा करने का विधान है ताकि कार्य बिना बाधा के पूर्ण हो. गणेश जी की पूजा से जन्मकुंडली के दोष भी शांत होते हैं और ग्रहों के पाप प्रभाव कम होते हैं. गणेश चतुर्थी का महत्व यह है कि यह दिन हमारे जीवन से विघ्नों को दूर कर, सुख-संपत्ति, सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करने वाला है.

गणेश चतुर्थी पूजन सामग्री सूची
1- गणेश जी की प्रतिमा/मूर्ति (मिट्टी की शुभ मानी जाती है)
2- पूजा के लिए चौकी या पाट
3- लाल अथवा पीला आसन/कपड़ा
4- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
5– कलश जल सहित, नारियल व आम के पत्ते
6- पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, इलायची
7- अक्षत (चावल), दूर्वा (तीन पत्ती घास)
8- सिंदूर, हल्दी, कुंकुम, रोली, चंदन
9- धूप, दीपक, कपूर, अगरबत्ती
10- फूल (विशेषकर लाल फूल) और माला
11- फलों में केला, अनार, नारियल, अमरूद, और मौसमी फल
12- मिठाइयां (विशेषकर मोदक और लड्डू)
13- नैवेद्य (पकवान, पंचमेवा, पान)
14- पूजा के लिए घंटी, शंख, आरती की थाली