Guru Nanak Jayanti 2025 : गुरु नानक जयंती सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है. इसे प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है. यह दिन केवल एक जन्मदिन नहीं, बल्कि उनके विचारों और आदर्शों को जीवन में उतारने का अवसर है. गुरु नानक देव जी ने जीवन भर मानवता, सेवा, समानता और प्रेम का संदेश फैलाया. उनके उपदेश आज भी लोगों के जीवन में मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं. इस दिन हर सिख परिवार और समुदाय के लोग गुरुद्वारों में इकट्ठा होकर उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं. कीर्तन, प्रवचन और लंगर का आयोजन किया जाता है, जिससे सामाजिक एकता और भाईचारे की भावना मजबूत होती है. गुरु नानक जयंती का आयोजन केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के मूल्यों और नैतिक सिद्धांतों की याद दिलाने का माध्यम भी है. इस दिन लोग अपने अंदर आत्मचिंतन करते हैं और अपने व्यवहार में सुधार लाने की कोशिश करते हैं. गुरु नानक देव जी का जीवन अत्यंत सरल और शिक्षाप्रद था. उन्होंने अपने अनुयायियों को भौतिक सुखों में उलझे बिना धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. उनकी शिक्षाएं केवल सिख धर्म तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह मानवता के लिए सार्वभौमिक संदेश हैं.
गुरु नानक जयंती के अवसर पर गुरुद्वारों का वातावरण अत्यंत पवित्र और आनंदमय होता है. हर जगह उनके जीवन और उपदेशों की चर्चा होती है. लोग गुरु नानक देव जी की प्रतिमाओं के सामने दीप जलाते हैं और उनके अनुयायियों के साथ मिलकर कीर्तन करते हैं. लंगर, जो सभी के लिए समान रूप से भोजन का प्रबंध करता है, उनके समानता और सेवा के सिद्धांत को प्रत्यक्ष रूप से दर्शाता है. यह उत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना को बढ़ाने का अवसर भी है.
गुरु नानक जयंती क्यों मनाई जाती है
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक हैं और पहले गुरु होने के नाते उनका जन्मदिन विशेष महत्व रखता है. उनके जन्मदिन का उत्सव उनके अनुयायियों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत है. इस दिन गुरु नानक देव जी के विचारों, आदर्शों और उपदेशों को याद किया जाता है, जो गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं. उनके उपदेश जीवन के सभी क्षेत्रों में मार्गदर्शन करते हैं चाहे वह समाज सेवा हो, आर्थिक कार्य हो या व्यक्तिगत आचार और व्यवहार.

गुरु नानक जयंती का महत्व
गुरु नानक देव जी ने समाज को कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं दी हैं, जिनका पालन आज भी हर व्यक्ति कर सकता है. उनके प्रमुख संदेश हैं
1. समानता और भाईचारा
गुरु नानक देव जी ने जाति, धर्म और वर्ग के आधार पर भेदभाव का विरोध किया. उन्होंने सिखाया कि सभी मनुष्य समान हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए.
2. ईमानदारी और मेहनत
उनका यह उपदेश कि ‘किरत करो’, यानी ईमानदारी से कार्य करके जीवन यापन करें, आज भी प्रासंगिक है. मेहनत और ईमानदारी से प्राप्त जीवन मूल्यवान और स्थायी होते हैं.
3. सेवा और दान
‘वंड छको’, यानी अपनी कमाई और संसाधनों का हिस्सा जरूरतमंदों के साथ बांटने का संदेश उन्होंने दिया. यह न केवल समाज में सहयोग की भावना बढ़ाता है, बल्कि आत्मा की शुद्धि का मार्ग भी खोलता है.
4. महिलाओं का सम्मान
गुरु नानक देव जी ने समाज में महिलाओं को समान अधिकार और सम्मान देने की शिक्षा दी. उन्होंने यह संदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति लिंग के आधार पर नीचा नहीं समझा जाना चाहिए.
5. भक्ति और आध्यात्मिक मार्ग
उन्होंने मानव को ईश्वर में आस्था रखने और माया-मोह से ऊपर उठकर भक्ति मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. उनके अनुसार, जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक सुख नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और मानव सेवा होना चाहिए.
तनाव मुक्त रहकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और हमेशा प्रसन्नचित्त रहना चाहिए.
7. स्वयं पर नियंत्रण ही सच्ची जीत है
दुनिया में सफल होने से पहले अपने भीतर के दोषों और बुराइयों पर काबू पाना जरूरी है.
गुरु नानक देव जी का जीवन सरल और उदात्त था. उनके कार्य और संदेश आज भी लोगों को नैतिक और आध्यात्मिक जीवन जीने की दिशा दिखाते हैं. गुरु नानक जयंती का उत्सव केवल पूजा-पाठ या समारोह तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन के उच्च मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों को याद करने का अवसर है. इस दिन हम अपने अंदर भी उनके आदर्शों और शिक्षाओं को आत्मसात करने का प्रयास करते हैं.
गुरु नानक जयंती न केवल सिख धर्म का प्रमुख उत्सव है, बल्कि यह मानवता, समानता और सेवा का प्रतीक भी है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि जीवन केवल अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के भले के लिए भी जीने का नाम है. गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी समाज में एक आदर्श और मार्गदर्शन का स्रोत हैं. उनकी शिक्षाएँ हर व्यक्ति को नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से प्रबुद्ध बनाती हैं. इस अवसर पर किए गए कीर्तन, लंगर और प्रवचन समाज में भाईचारे और सहयोग की भावना को मजबूत करते हैं.