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Holashtak 2025: होली के पहले वाले 8 दिन क्यों माने जाते हैं अशुभ? होलाष्टक कष्टकारी क्यों, जानें क्या कहते हैं पंडित जी

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Holashtak 2025: होलाष्टक होली से आठ दिन पहले शुरू होता है और इसे अशुभ माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार अशुभ ग्रहों की स्थिति से नकारात्मक ऊर्जा होती है.

होली के पहले वाले 8 दिन क्यों माने जाते हैं अशुभ? होलाष्टक कष्टकारी क्यों?

Holashtak 2025 Date: होली के पहले वाले 8 दिन क्यों माने जाते हैं अशुभ? होलाष्टक को क्यों माना जाता है कष्टकारी

हाइलाइट्स

  • होली से पहले के 8 दिन होलाष्टक अशुभ माने जाते हैं.
  • शनि और मंगल की स्थिति से नकारात्मक ऊर्जा होती है.
  • भक्त प्रहलाद को 8 दिनों तक यातनाएं दी गई थीं.

Holashtak 2025: होली के ठीक आठ दिन पहले से होलाष्टक शुरु हो जाता है. यह होलाष्टक हिंदू मान्यताओं के अनुसार बहुत ही अशुभ माना गया है, इसलिए इन आठ दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किये जाते है. क्योंकि इस अवधि में किये गये कार्य सिद्ध नहीं होते हैं कोई कार्य इस दौरान शुरु कर दिये जाएं तो वे पूर्ण नहीं होते और हो भी जाते हैं तो भी उनमें कई तरह की अड़चने उत्पन्न होने लगती है. इसलिए इन दिनों को कष्टकारी व बीमारी वाला समय कहा जाता है. लेकिन सबके मन में ये सवाल उत्पन्न होता है कि आखिर होली के शुभ त्योहार के तुरंत पहले के ये 8 दिन होलाष्टक के अशुभ क्यों माने जाते हैं? तो आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य व वास्तुशास्त्र सलाहकार डॉ अरविंद पचौरी से इस बारे में विस्तार से जानते हैं.

होलाष्टक को क्यों माना जाता है अशुभ?
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जानें तो होलाष्टक के आठ दिनों को ग्रहों की स्थिति और तिथियों के कारण अशुभ माना जाता है. दरअसल, होलाष्टक के दिनों में मुख्य रुप से शनि व मंगल जैसे उग्र ग्रहों की स्थितियों व उनके परिवर्तन से कुछ नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने की संभावनाएं होती हैं. इस कारण से ज्योतिषीय दृष्टिकोण में इन दिनों को अशुभ माना जाता है.

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लेकिन वहीं दूसरी तरफ होलाष्टक का संबंध राक्षसी शक्तियों से जोड़ कर देखा जाता है. मान्यता है कि होलाष्टक के आठ दिनों को असत्य और अंधकार का प्रतीक कहा जाता है और इन दिनों को राक्षसों के वर्चस्व के दिन कहा जाता है. जो कि नकारात्मकता और अशांति कौ फैलाने का कारण बन सकते हैं. इसलिए होली के आठ दिन पहले होलाष्टक से शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं और इन्हें करने की मनाही होती है. लेकिन इन दिनों को नकारात्मक शक्तियों से जोड़कर क्यों देखा जाता है इसके पीछे की पौराणिक मान्यताओं को जानते हैं.

होलाष्टक की प्रचलित कथा
पौराणिक मान्यता में प्रचलित कथानुसार, भक्त प्रहलाद भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्ति में लीन रहता था. लेकिन उसके पिता राक्षस राज हिरण्यकश्यप को अपने पुत्र की भक्ति बिलकुल पसंद नहीं थी. इसलिए अपने बेटे प्रहलाद की भक्ति को भंग करने और उसका ध्यान अपनी ओर करने के लिए राक्षस राज हिरण्यकश्यप ने उसे लगातार 8 दिनों तक कई तरह की यातनाएं और कष्ट दिए थे.

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इसलिए होलाष्टक के इन 8 दिनों को अशुभ और कष्टकारी माना जाता है और इन दिनों कोई शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं. हालांकि होलिका दहन के दिन भक्त प्रहलाद और सत्य की जीत हुई इसलिए होली का दिन हंसी खुशी के साथ मनाया जाता है.

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