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Holika Dahan 2025: होलिका को कौन सा वरदान प्राप्त था? जिसके कारण उसे जला नहीं सकती थी अग्नि

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Holika Dahan Katha 2025: देशभर में धूमधाम से होलिका दहन का पर्व मनाया जा रहा है. इस पर्व में पूरे परिवार के साथ होली माता की पूजा की जाती है और रात के समय होलिका दहन किया जाता है. लेकिन क्या आपको पता है आखिर यह…और पढ़ें

होलिका को कौन सा वरदान प्राप्त था? जिसके कारण उसे जला नहीं सकती थी अग्नि

Holika Dahan 2025: होलिका को कौन सा वरदान प्राप्त था? जिसके कारण उसे जला नहीं सकती थी अग्नि

हाइलाइट्स

  • होलिका दहन 2025: 13 मार्च को प्रारंभ, 14 मार्च को समापन.
  • होलिका को ब्रह्माजी से अग्नि में ना जलने का वरदान मिला था.
  • निर्दोष प्रह्लाद को जलाने के प्रयास में होलिका स्वयं जल गई.

Holika Ko Kon sa Vardan Prapt Tha: रंगो का त्योहार होली हर साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन करने की परंपरा है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसे नकारात्मक ऊर्जा के नाश और सकारात्मकता के आगमन का प्रतीक माना जाता है. लेकिन होलिका दहन की कथा के बारे में तो अधिकतर लोग जानते हैं और यह भी जानते हैं कि होलिका को अग्नि में ना जलने का वरदान प्राप्त था. लेकिन ये वरदान उन्हें किसने दिया था और वरदान मिलने के बाद भी होलिका अग्नि में कैसे जल गईं.आइए इस बारे में भगवताचार्य पंडित राघवेंद्र शास्त्री से विस्तार से जानते हैं.

किसने दिया था होलिका को वरदान?
विष्णु पुराण के अनुसार, होलिका को ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था. इस वरदान के स्वरुप में उसे एक ऐसा वस्‍त्र प्राप्त था, जो कभी आग से जला नहीं सकता था. होलिका ने ब्रह्ना जी के प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की थी. जिसके बाद ब्रह्मा जी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर यह वरदान दिया था.

ब्रह्माजी ने होलिकी को यह वस्त्र देते हुए उसे यह भी कहा था कि जब-जब होलिका इस चादर को ओढ़ेगी तब-तब उसपर आग का प्रभाव नहीं पड़ेगा और उसे अग्नि जला भी नहीं पाएगी. लेकिन फिर भी कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि जब होलिका को स्वयं ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था तो इसके बावजूद भी वह अग्नि में कैसे जल गई? तो आइए जानते हैं पौराणिक कथा के अनुसार क्या है इसकी वजह

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वरदान के बाद भी कैसे जल गई होलिका?
पौराणिक कथा के अनुसार, होलिका को अग्नि में ना जलने का यह वरदान ब्रह्मा जी ने दिया था. लेकिन यह वरदान उन्होंने होलिका को एक शर्त के साथ दिया था. ब्रह्मा जी ने होलिका को वरदान देते हुए यह शर्त भी रखी थी कि अगर इस वरदान का उपयोग अगर वह किसी निर्दोष के लिए करेगी तो इसमें वह स्वयं नष्ट हो जाएगी. वहीं जब होलिका अग्नि में जब बालक प्रह्लाद को लेकर बैठी, जो कि विष्णु भक्त होने के साथ-साथ निर्दोष भी था और होलिका अपने छल, पाप व निर्दोष को नुकसान पहुंचाने की मंशा के कारण अग्नि में जलकर भस्म हो गई.

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