दिवाली रोशनी और खुशियों का त्योहार है, जो अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. इस दिन दीया जलाना सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता का संचार करती है. हर जलाया गया दीया लक्ष्मी माता का स्वागत करता है और घर में सुख-समृद्धि लाता है. लेकिन हर साल लोगों के मन में एक सवाल रहता है कि आखिर दिवाली की रात कितने दीये जलाने चाहिए, खासकर दिवाली 2025 में?

परंपरा के अनुसार, एक दीया ऐसा होना चाहिए जो पूरी रात जलता रहे. इसे “अखंड दीपक” कहा जाता है और यह निरंतर ऊर्जा, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक होता है. यह दीपक घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है ताकि मां लक्ष्मी का प्रवेश सुगमता से हो. इसके अलावा एक दीया पूजा घर में भगवान गणेश और लक्ष्मी जी के सामने, एक रसोई में अन्नपूर्णा देवी के आशीर्वाद के लिए, एक तिजोरी या धन रखने की जगह पर, एक तुलसी पौधे के पास और एक घर के आंगन या बालकनी में जलाना शुभ माना जाता है.
कुछ लोग शुभ फलों के लिए 51 या 108 दीये भी जलाते हैं, क्योंकि यह संख्या पवित्र और देवताओं को प्रसन्न करने वाली मानी जाती है. वहीं, यदि घर छोटा है या समय की कमी है, तो कम से कम 5 दीये जलाना अनिवार्य माना जाता है. ये पांच दीये पंचतत्वों (आकाश, वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी) का प्रतीक हैं और संतुलन बनाए रखते हैं. दिवाली की रात दीयों को जलाने का सही समय सूर्यास्त के बाद और लक्ष्मी पूजन के दौरान होता है। उस समय पूरे घर की लाइट बंद कर केवल मिट्टी के दीयों से वातावरण को प्रकाशमय करना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह न केवल घर को रोशन करता है, बल्कि आत्मा को भी प्रकाश से भर देता है.
इस तरह, दिवाली पर दीया जलाना सिर्फ सजावट का हिस्सा नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है. जितने अधिक श्रद्धा और भक्ति से दीये जलाए जाएंगे, उतनी ही सकारात्मकता, समृद्धि और शांति घर में आएगी. दिवाली 2025 पर जब आप अपने घर को दीयों से सजाएं, तो यह याद रखें कि हर दीया अंधकार मिटाकर नई आशा और रोशनी का संदेश देता है.