Home Dharma Jivitputrika Vrat significance। जितिया व्रत में धागा का नियम

Jivitputrika Vrat significance। जितिया व्रत में धागा का नियम

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Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत का धागा मां की श्रद्धा और संतान की सुरक्षा का प्रतीक है. इसे उतारते समय अगर धार्मिक नियमों का पालन किया जाए तो संतान पर मां का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है. चाहे आप इसे पानी में विसर्जित करें, तुलसी/पीपल पर चढ़ाएं या पूजा स्थल पर रखें, हर स्थिति में यह शुभ फल ही देता है. बस ध्यान यही रखना है कि इसे कभी भी लापरवाही से न फेंका जाए.

जितिया धागा कैसे-कब उतारें, जानें उतारने, विसर्जन के नियम, क्या करें क्या नहींजितिया व्रत का धागा बांधने का नियम
Jitiya Vrat Thread Rules: भारत में जितिया व्रत का बहुत खास महत्व है. इसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, जिसमें माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला रहकर उपवास करती हैं. इस व्रत का सबसे अहम हिस्सा है “जितिया का धागा”, जिसे बच्चे और मां दोनों पहनते हैं. यह धागा केवल एक धागा नहीं, बल्कि मां और संतान के बीच अटूट रिश्ते और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है. हर साल की तरह 2025 में भी महिलाएं इस व्रत को बड़े श्रद्धा भाव से करेंगी, लेकिन अक्सर मन में सवाल आता है कि व्रत पूरा होने के बाद इस धागे का क्या करना चाहिए? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से इसके सही नियम और धार्मिक मान्यताएं.

जितिया व्रत का महत्व
जितिया व्रत केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा पर्व नहीं है, बल्कि यह मातृत्व और संतान के बीच के रिश्ते को मजबूत करने वाला त्योहार है. खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में इसका पालन बहुत श्रद्धा से किया जाता है. माताएं तीन दिनों तक व्रत करती हैं और इस दौरान वे बच्चे को जितिया का धागा पहनाती हैं. इस धागे को पहनाना संतान की सुरक्षा और दीर्घायु का प्रतीक माना जाता है.

1. पानी में विसर्जन
ज्यादातर महिलाएं व्रत के बाद इस धागे को पवित्र नदी, तालाब या कुएं में प्रवाहित करती हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से जीमूतवाहन का आशीर्वाद बना रहता है और संतान पर आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. इसे शुभ और धार्मिक दृष्टि से सही माना गया है.

2. तुलसी या पीपल के नीचे रखना
अगर नदी या तालाब जाना संभव न हो तो महिलाएं इस धागे को तुलसी या पीपल के पौधे के नीचे भी रख सकती हैं. तुलसी और पीपल दोनों ही पेड़ बेहद पवित्र माने जाते हैं और उन पर धागा चढ़ाने से संतान की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि बनी रहती है.

3. घर के पूजा स्थल पर रखना
एक और तरीका है कि इस धागे को घर के पूजा स्थल पर रख दिया जाए. माना जाता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और मां का आशीर्वाद हमेशा बच्चों पर बना रहता है. यह तरीका उन लोगों के लिए बेहतर है जो धागे को कहीं बाहर न ले जाना चाहें.

क्या न करें
1. धागे को कभी कूड़े में न फेंकें.
2. इसे अपवित्र जगह या पैरों के नीचे न आने दें.
3. धागे का अनादर न करें, क्योंकि यह आस्था और रिश्ते का प्रतीक है.

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जितिया धागा कैसे-कब उतारें, जानें उतारने, विसर्जन के नियम, क्या करें क्या नहीं

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