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Kartik Purnima 2025: 100 साल के बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन बन रहा है अदभुत संयोग, व्रत रखने पर हरी और हर की बरसेगी कृपा

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Kartik Purnima vrat: देवघर की ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने जानकारी देते हुए कहा कि 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. इस दिन अद्भुत संयोग बनने जा रहा है. जिससे जातक को अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होगी और हरी और हर दोनों की कृपा बरसने वाली है.

देवघर. हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक महीना में पूर्णिमा तिथि का व्रत रखा जाता है और इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है इसके साथ ही इस दिन सत्यनारायण कथा सुनने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है. हर पूर्णिमा तिथि में कार्तिक मास की पूर्णिमा खास होती है. क्योंकि इस दिन देव दीपावली मनाई जाती है और इसी दिन लक्ष्मी नारायण और शिव जी की पूजा का भी विधान है. ऐसे में आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं इस साल कार्तिक पूर्णिमा किस दिन मनाई जाएगी और इस पूर्णिमा का क्या खास महत्व है?

देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Bharat.one के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि इस साल 2025 में 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है. साथ ही गंगा स्नान और दान करने का भी विधान है. मान्यता के अनुसार इस दिन कार्यों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है.

कार्तिक पूर्णिमा की तिथि कब
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 04 नवंबर रात 10 बजकर 36 मिनट से होने जा रही है और समापन अगले दिन यानी 05 नवंबर को रात 08 बजकर 24 मिनट में हो रहा है. उदया तिथि के अनुसार इस साल 05 नवंबर को ही पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा.

बन रहा है अद्भुत संयोग
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन करीब 100 साल के बाद अद्भुत संयोग बनने जा रहा है. इस साल सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, भरणी और अश्विनी नक्षत्र का संयोग है जो अत्यंत शुभ होता है.

पूर्णिमा तिथि का क्या है महत्व
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन हरी और हर दोनों की कृपा जातक को प्राप्त होता है.कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनायी जाती है, जिसे देवताओं के दीवाली उत्सव के रूप में जाना जाता है. शास्त्र के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. अतः कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है.

Mohd Majid

with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f…और पढ़ें

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100 साल के बाद कार्तिक पूर्णिमा पर अदभुत संयोग, हरी और हर की बरसेगी कृपा

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