Karwa Chauth Moon Rise Timing: करवा चौथ का व्रत एक ऐसा व्रत है, जो सदियों से शादीशुदा जोड़ों के बीच प्रेम, समर्पण और उनके साथ को दिखाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर यानी रविवार के दिन रखा जाएगा. करवा चौथ की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं और बाजार सुहागनों के लिए पूरी तरह सज चुके हैं. लेकिन करवा चौथ पर एक सवाल जो हर व्रत करने वाली महिला के दिल में शाम के साथ बार-बार आता है कि ‘आखिर ये चांद कब निकलेगा…?’ कई बार तो करवा चौथ के दिन अचानक बादल छा जाते हैं और सुबह से निर्जला व्रत करने वाली महिलाएं देर रात तक बादलों के हटने और चांद निकलने का इंतजार करती हैं. क्या इस बार भी आपके शहर में बादलों के बीच चांद छिपने वाला है, या फिर आपको साफ नजर आएगा. चलिए आपको बताते हैं.
करवा चौथ के व्रत का मतलब?
‘करवा’ का अर्थ होता है मिट्टी का बर्तन, और ‘चौथ’ का मतलब होता है चौथा. ‘करवा’ चौथ के दिन सुहागनें चौथ के चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए इस मिट्टी के बर्तन का उपयोग करती हैं. करवा चौथ कार्तिक महीने के चौथे दिन मनाई जाती है.
इस समय निकलेगा करवा चौथ का चांद
दृक पंचाग के अनुसार करवा चौथ 2024 को चांद दिखने का समय कुछ इस प्रकार है.
करवा चौथ की तिथि : 20 अक्टूबर, 2024
करवा चौथ पूजा मुहूर्त : शाम 5:46 बजे से शाम 7:02 मिनट तक
कृष्ण दशमी चंद्रमा के उगने का समय : रात 7:54 मिनट
चंद्रमा के उदय का समय हर दिन लगभग 50 मिनट बदलता है, जो पृथ्वी के घूमने और चंद्रमा की परिक्रमा के अंतर के कारण होता है. चंद्रमा हर दिन पृथ्वी के चारों ओर 13° चलता है, इसलिए चंद्रमा को दिखाई देने के लिए पृथ्वी को हर दिन अतिरिक्त 13° घूमना पड़ता है. यानी करवा चौथ के दिन चंद्रमा लगभग शाम 7:54 मिनट पर नजर आएगा. अभी तक बादलों को लेकर कोई भी अनुमान नहीं जताया जा रहा है.
करवा चौथ से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं, कहानियां और लोक कथाएं हैं.
करवा चौथ की व्रत कथा
करवा चौथ से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं, कहानियां और लोक कथाएं हैं. इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी ‘वीरवती’ की है. प्राचीन कथाओं के अनुसार, वीरवती एक रानी थी और उसके सात भाई थे जो उसे बहुत प्यार करते थे. जब वीरवती की शादी हुई, तो उसका पहला करवा चौथ जल्दी आ गया. परिवार की अन्य महिलाओं की तरह, उसने भी अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्योदय से चंद्रमा के दर्शन तक व्रत रखा. जैसे-जैसे दिन बीतता गया, वीरवती भूख और प्यास से कमजोर हो गई, और उसके भाई चिंतित हो गए. अपनी बहन की भूख को देखते हुए, भाइयों ने एक चाल चली. उन्होंने पेड़ों के ऊपर एक दर्पण लगा दिया और वीरवती को बताया कि चंद्रमा निकल आया है. यह सुनकर वीरवती ने व्रत तोड़ दिया. लेकिन जैसे ही उसने व्रत तोड़ा, उसे खबर मिली कि उसका पति गंभीर रूप से बीमार हो गया है और उसकी मृत्यु हो गई है. वीरवती दुखी होकर माता पार्वती से प्रार्थना करने लगी कि उससे कहां गलती हो गई. माता पार्वती ने आकर उसे बताया कि उसके भाइयों ने उसे धोखा दिया और उसका व्रत अधूरा रह गया. वीरवती ने अपनी गलती महसूस की और एक और पूरा दिन व्रत रखा, जिससे यमराज ने उसके पति को फिर से जीवन दिया. इस घटना के बाद, वीरवती हर साल करवा चौथ का व्रत रखती थी.
‘करवा’ की कहानी
करवा चौथ की एक और प्रसिद्ध कहानी ‘करवा’ नामक महिला की है, जिसका पति मगरमच्छ द्वारा खा लिया गया था. करवा अपने पति के प्रति बहुत समर्पित थी, और दोनों एक-दूसरे के साथ सुखपूर्वक रहते थे. एक दिन जब उसका पति नदी में स्नान करने गया, तो मगरमच्छ ने उसे काट लिया और खाने की कोशिश की. करवा ने अपने पति को बचाने के लिए मगरमच्छ को एक सूती धागे से बांध दिया और यमराज से उसकी रक्षा करने की प्रार्थना की. करवा की निष्ठा और समर्पण से प्रभावित होकर यमराज ने उसके पति को जीवनदान दिया और मगरमच्छ को नरक भेज दिया.
FIRST PUBLISHED : October 15, 2024, 13:16 IST
