Home Dharma Ketu Remedies: केतु है अलगाव का ग्रह, सांसारिक मोहमाया से ले जाता...

Ketu Remedies: केतु है अलगाव का ग्रह, सांसारिक मोहमाया से ले जाता है दूर ! करें ये आसान उपाय

0


Ketu Remedies : केतु किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में बहुत ही अहम ग्रह है. केतु मोक्ष का कारक है. केतु अध्यात्म और अदृश्य शक्तियों का भी कारक है. केतु स्वयं में एक रहस्य है. केतु का प्रभाव उन जातकों पर अधिक होता है जो आध्यात्मिक या तांत्रिक क्रियो में लिप्त होते हैं. राहु के साथ मिलकर केतु कालसर्प दोष का निर्माण करता है. जन्म कुंडली में केतु की महादशा 7 साल की और अंतर्दशा 11 महीने से सवा साल तक की होती है.

केतु ग्रह के प्रभाव: केतु ग्रह जीवन में अचानक से परिवर्तन ला सकता है. यह व्यक्ति को सांसारिक मोह माया से व्यक्त करता है. यह अध्यात्म और एकात्मक ओर ले जाता है. केतु की महादशा में व्यक्ति को जोड़ों में दर्द स्क्रीन के रोग और नसों में कमजोरी जैसी समस्याएं होती हैं. साथ ही भ्रम की स्थिति से मन भटकाव की ओर चला जाता है. व्यक्ति कोई भी निर्णय नहीं ले पाता है.

Job Transfer Upay: मनचाही जगह ट्रांसफर करवाने के लिए करें ये आसान उपाय ! तुरंत मिलता है इसका परिणाम

स्थान हानि करता है केतु : केतु जन्म कुंडली के जिस भी भाव में बैठता है वह स्थान हानि करता है. उसे भाव से संबंधित फल नष्ट कर देता है. जैसे पंचम भाव में बैठा केतु व्यक्ति को संतान की समस्या देता है. सप्तम भाव में बैठा केतु विवाह नहीं होने देता यदि हो भी गया तो वैवाहिक जीवन तहस-नहस कर देता है. अष्टम भाव में केतु तंत्र-मंत्र की ओर व्यक्ति को ले जाता है.

केतु के उपाय : नवग्रह में जितने भी ग्रहों के अलग-अलग उपाय हैं उसमें सबसे विचित्र और सबसे कठिन उपाय केतु के माने जाते हैं. आज हम उन उपायों पर चर्चा करते हैं.

Birthday Special: जन्म के दिन से जानें कैसा होगा आपके बच्चे का स्वभाव ! उसके देवता के बारे में भी जानिए

पहला उपाय :  केतु की पसंदीदा चीजो में पहला नाम है ध्वज का, केतु धर्म ध्वज है.शायद इसलिए हर मजहबों का अपना एक निशान अपना एक झंडा होता है, हर देश का अपना एक झंडा होता है, हर ग्रुप, हर संगठन का अपना एक झंडा होता है और वही झंडा केतु है. केतु की शांति के लिए अपने नाम से संकल्पित करके एक ध्वज मंदिर के छत के ऊपर लगाए.

उदाहरण के तौर पर केतु अगर धनु या मीन में बैठा है तो मीन का स्वामी बृहस्पति होता है और बृहस्पति का संबंध भगवान नारायण से है तो किसी कृष्ण मंदिर के छत पर एक धर्म ध्वज लगाएंगे.केतु मेष वृश्चिक में बैठा है तो हनुमान मंदिर में. वृषभ तुला में बैठा है तो किसी भी देवी दुर्गा मंदिर में. मिथुन कन्या में बैठा है तो गणेश मंदिर में. कर्क का बैठा है तो शिव मंदिर में. सिंह का बैठा है तो बेहतर है सूर्य मंदिर या फिर किसी भी कृष्ण मंदिर में. मकर कुंभ का बैठा है तो किसी भी काली मंदिर में.धनु मीन का बैठा है तो किसी भी कृष्ण मंदिर में.अपने नाम और गोत्र से संकल्प करके एक ध्वज उस मंदिर के छत के ऊपर लगाए, इससे 50% केतु का दुष्प्रभाव खत्म हो जाएगा.

Mangal Ka Gochar: मंगल के गोचर का दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, जानें आपकी कुंडली से क्या होगा जीवन पर असर

दूसरा उपाय : आपके घर में 5-6 वर्ष के छोटी छोटी बच्चियों के ऊपर भी केतु का प्रभाव है. खासकर छोटी-छोटी कुमारी कन्याएं केतु है.देवी दुर्गा की आराधना से केतु प्रसन्न होते हैं. नवरात्रि के अवसर पर छोटी कन्याओं को खीर और पुरी का भोजन कराना साथ में केला अवश्य खिलाना केतु के दुष्प्रभाव को खत्म करता है.

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version