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Loknath Brahmachari lived for 160 years know about his secrets and miracles | लोकनाथ ब्रह्मचारी 160 साल तक जीवित रहे, कभी सोए नहीं , ना ही आंखों की पुतलिया झपकती थीं

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भारत की भूमि को संतों और सिद्ध पुरुषों की तपस्या ने हमेशा पवित्र बनाया है. ऐसे ही एक असाधारण योगी थे लोकनाथ ब्रह्मचारी, जिनके बारे में लोककथाओं और मान्यताओं में कहा जाता है कि वे लगभग 160 वर्ष तक जीवित रहे. लोकनाथ ब्रह्मचारी (1730-1890) बंगाल के महान योगी, त्रिकालदर्शी संत और सिद्ध पुरुष माने जाते हैं. उन्हें असाधारण आध्यात्मिक शक्तियों और रहस्यमयी चमत्कारों के लिए अब भी सम्मानित किया जाता है. कहा जाता है कि उन्होंने पूरी जिंदगी कभी नींद नहीं ली और उनकी आंखों की पुतलियां कभी नहीं झपकती थीं. यह बातें किसी चमत्कार से कम नहीं लगतीं, लेकिन भक्तों के विश्वास के अनुसार यह उनके कठोर तप, साधना और दिव्य योगशक्ति का परिणाम था. आइए जानते हैं लोकनाथ ब्रह्मचारी बाबा के रहस्यों के बारे में…

मानवीय सीमाएं बाबा पर नहीं होती थीं लागू
लोकनाथ ब्रह्मचारी बाबा का जन्म बंगाल के बारासात जिले के चकला गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ. बचपन से ही उनकी प्रवृत्ति आध्यात्मिक साधना और पूर्ण वैराग्य की ओर थी. लोकनाथ ब्रह्मचारी बाबा के पास असीमित शक्तियां थीं. इन्होंने 11 वर्ष की आयु में ही अपने गुरु भगवान गांगुली के साथ घर-त्याग कर साधना का मार्ग शुरू किया. उनके भक्त मानते हैं कि बाबा लोकनाथ ने अपनी तपश्चर्या से शरीर को ऐसी अवस्था में पहुंचा दिया था, जहां नींद, थकान और क्षुधा जैसी मानवीय सीमाएं उन पर लागू नहीं होती थीं.

अंतिम दिनों में रहे ऊर्जावान
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, बाबा लोकनाथ 160 वर्ष से अधिक जीवत रहे और लोक कल्याण के कई कार्य किए. उनकी उम्र बढ़ती रही, लेकिन शरीर हमेशा तेजस्वी और शांत दिखाई देता था. भक्त कहते हैं कि वे अपने जीवन के अंतिम दिनों तक स्वयं चल-फिर सकते थे और लोगों की समस्याएं सुनते थे. इन बातों का उल्लेख वर्षों से चली आ रही कथाओं और लोकश्रुतियों में मिलता है. बताया जाता है कि बाबा समाधी लेते हुए गोमुख आसन पर पलकें खुली हुई थीं और उन्होंने शरीर छोड़ दिया.

भक्तों की आस्था का हिस्सा विश्वास
साधना की दुनिया में कहा जाता है कि लोकनाथ ब्रह्मचारी पूर्ण एकाग्रता और निरंतर जागरूकता की अवस्था का संकेत है. बाबा लोकनाथ के बारे में माना जाता है कि वे अक्षरलक्ष्य ध्यान की स्थिति में रहते थे. यह स्थिति ऐसी बताई जाती है, जिसमें साधक बाहरी और भीतरी दोनों ही स्तरों पर जागा रहता है. भक्त मानते हैं कि इस अवस्था में इंसान नींद और थकान से परे हो जाता है. माना जाता है कि उनका ध्यान ही उनकी नींद था. वे घंटों तक एक ही आसन में स्थिर रहते थे. भक्त बताते हैं कि उनके शरीर से एक अजीब-सी शांति और तेज निकलता था. यह विश्वास भक्तों की आस्था का हिस्सा है, जिसे आज भी लोग बड़े सम्मान से स्वीकार करते हैं.

80 वर्षों तक की कठोर तपस्या
लोकनाथ ब्रह्मचारी ने हिमालय के कई क्षेत्रों में 80 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी. वे लगभग सात फीट लंबे, एकदम दुबले-पतले थे और उन्हें स्वयं के शरीर की आवश्यकता बहुत कम थी. वे हिमालय की ठंडी में निर्वस्त्र साधना करते रहे. 90 वर्ष की आयु में उन्हें पूर्ण आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई. वे हिमालय, अफगानिस्तान, अरब, फारस तथा इजराइल तक पदयात्रा कर चुके थे.

बाबा थे त्रिकालदर्शी
लोकनाथ ब्रह्मचारी को त्रिकालदर्शी माना जाता है, यानी वे भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान रखते थे. कहते हैं, वे अपने शिष्यों और भक्तों के जीवन में आने वाली घटनाओं को पहले ही जान जाते और उन्हें सही मार्गदर्शन देते थे. दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टों को दूर करने की शक्ति उनके नाम से जुड़ी थी. माना जाता है कि अपनी मृत्यु के बाद भी वे अदृश्य रूप में भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं.

आध्यात्मिक शक्तियों के प्रतीक बाबा लोकनाथ ब्रह्मचारी
पूर्वी भारत, खासकर बंगाल में लोकनाथ ब्रह्मचारी आज भी श्रद्धा, करुणा और अद्भुत आध्यात्मिक शक्तियों के प्रतीक माने जाते हैं. बंगाल में बाबा की लोकप्रियता और स्वीकार्यता का पता लगाना हो तो आज भी आपको दुकानों और गाड़ियों के पीछे बाबा के नारे दिख जाएंगे. अमूमन 20 में से एक दुकान पर बाबा लोकनाथ स्टोर दिख जाएगा और हर पांचवी गाड़ी पर जय बाबा लोकनाथ लिखा होगा.

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