Home Dharma Lunar Eclipse 2025: Chandra Grahan कब से शुरू?, मंदिरों के कपाट कब...

Lunar Eclipse 2025: Chandra Grahan कब से शुरू?, मंदिरों के कपाट कब होंगे बंद, 9 घंटे पहले शुरू होगा सूतक काल

0


Last Updated:

Lunar Eclipse 2025: हिंदू धर्म में ग्रहण काल को अशुभ समय कहा गया है. इसलिए मंदिरों के कपाट सूतक काल (ग्रहण से 9 घंटे पहले) से ही बंद हो जाते हैं. इस दौरान पूजा, आरती, भोग और शृंगार रोक दिए जाते हैं. आइए जानते ह…और पढ़ें

Chandra Grahan कब से शुरू? मंदिरों के कपाट कब होंगे बंद, जानें सूतक काल का समय
Lunar Eclipse Temples Kapat Close Time: भारत समेत पूरी दुनिया 7-8 सितंबर 2025 की रात एक बड़ा खगोलीय घटित होने वाली है. इस दिन साल 2025 का अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने वाला है. ज्योतिष, धर्म और विज्ञान तीनों ही दृष्टियों से यह ग्रहण खास माना जा रहा है. चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य होगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है और इस समय मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल के समय देव मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता है और शारीरिक पूजा पाठ की मनाही होती है. सूतक काल से ही मानसिक पूजा पाठ और मंत्र जप का विशेष महत्व है. आइए जानते हैं मंदिरों के कपाट कब बंद होंगे…
सूतक काल का समय
चंद्र ग्रहण के दौरान भारत के सभी मंदिर लगभग बंद हो जाएंगे. चंद्र ग्रहण रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो मध्य रात्रि 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. वहीं सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले लग जाता है. रविवार को चंद्र ग्रहण का सूतक काल 12 बजकर 56 मिनट से शुरू हो जाएगा. इसलिए सूतक काल की वजह से दोपहर 12 बजे ही मंदिरों की आरती और भोग लग जाएगा और इसके बाद मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद मंदिरों के कपाट 8 सितंबर को सुबह आरती के बाद खुलेंगे.

क्यों बंद हो जाते हैं मंदिर?
ग्रंथों के अनुसार, जब चंद्र या सूर्य पर राहु-केतु की छाया पड़ती है, तब उस समय को अशुद्ध माना जाता है. इस अशुद्ध काल को ही सूतक काल कहते हैं, और इसमें देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श करना वर्जित है. ग्रहण समाप्त होने के बाद मंदिर में गंगाजल या पवित्र जल से शुद्धिकरण किया जाता है. फिर ही मूर्ति का स्नान, वस्त्र, आभूषण और भोग-आरती पुनः आरंभ होते हैं. ग्रहण के समय ध्यान, जप और साधना का महत्व है. मंदिर बंद करके भक्तों को संकेत दिया जाता है कि वे इस अवधि को साधना और आत्मशुद्धि में लगाएं, न कि सामान्य पूजा-व्यवहार में.

शुद्धिकरण के बाद ही खुलते हैं मंदिर के कपाट
हिंदू धर्म में ग्रहण काल को अशुभ समय कहा गया है. इसलिए मंदिरों के कपाट सूतक काल (ग्रहण से 9 घंटे पहले) से ही बंद हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार जैसे ही सूतक काल प्रारंभ होता है, मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं. इस दौरान पूजा, आरती, भोग और शृंगार रोक दिए जाते हैं. ग्रहण समाप्ति और शुद्धिकरण (स्नान व गंगाजल छिड़काव) के बाद ही कपाट खोले जाते हैं और पुनः पूजा आरंभ होती है. मान्यता है कि ग्रहण के समय नकारात्मक और असुर ऊर्जा प्रबल हो जाती है. मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं ताकि यह अशुभ प्रभाव मूर्ति पर न पड़े और देवशक्ति सुरक्षित रहे.

Parag Sharma

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें

मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
homedharm

Chandra Grahan कब से शुरू? मंदिरों के कपाट कब होंगे बंद, जानें सूतक काल का समय

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version