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Mahabharat Katha: मां के गर्भ में अभिमन्यु को हो गया था चक्रव्यूह का ज्ञान, लेकिन क्यों इसमें फंस कर चली गई थी उनकी जान?

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Mahabharat Katha: महाभारत के युद्ध में कौरवों के सेनापति द्रोणाचार्य ने पांडवों को परास्त करने के लिए चक्रव्यूह नामक एक विशेष युद्ध व्यूह रचा. इस व्यूह में प्रवेश तो आसान था, लेकिन बाहर निकलना बेहद कठिन था. अर्…और पढ़ें

चक्रव्यूह का ज्ञान होने के बावजूद उसमें कैसे फंसे अभिमन्यु?

महाभारत कथा

हाइलाइट्स

  • अभिमन्यु ने गर्भ में चक्रव्यूह में प्रवेश की कला सीखी थी.
  • अभिमन्यु चक्रव्यूह के सातवें द्वार पर फंस गए थे.
  • कौरवों ने नियम तोड़कर अभिमन्यु को घेर लिया और मार डाला.

Mahabharat Katha: कुरुक्षेत्र के मैदान में महाभारत का युद्ध अपने चरम पर था. कौरवों और पांडवों की सेनाएं आमने-सामने थीं और हर दिन नए-नए रणनीतिक युद्ध कौशल का प्रदर्शन हो रहा था. 13वें दिन कौरवों के सेनापति द्रोणाचार्य ने पांडवों को परास्त करने के लिए एक विशेष व्यूह की रचना की चक्रव्यूह. उन्होंने अपने साहस और युद्ध कौशल से चक्रव्यूह के छह द्वार पार कर लिए लेकिन सातवें द्वार पर कौरवों ने उन्हें घेर लिया. नियमों को तोड़ते हुए कई महारथियों ने मिलकर उन पर आक्रमण किया, जिससे वे बाहर नहीं निकल सके.

चक्रव्यूह क्या था
यह चक्रव्यूह एक ऐसा व्यूह था जिसमें प्रवेश करना तो आसान था लेकिन उससे बाहर निकलना अत्यंत कठिन था. इस व्यूह को भेदने की कला केवल कुछ ही योद्धाओं को थी जिसमें श्रीकृष्ण, अर्जुन, द्रोणाचार्य, और प्रद्युम्न शामिल थे. लेकिन एक और योद्धा था जो इस रहस्यमयी व्यूह के बारे में जानता था, वो थे अभिमन्यु. अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु ने अपनी माता के गर्भ में ही अर्जुन से चक्रव्यूह में प्रवेश करने की कला सीखी थी. हालांकि, जब अर्जुन चक्रव्यूह से बाहर निकलने की बात कर रहे थे तो सुभद्रा को नींद आ गई और अभिमन्यु वह ज्ञान प्राप्त नहीं कर सके.

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चक्रव्यूह में फंसने वाले अभिमन्यु
युद्ध के 13वें दिन जब पांडवों को चक्रव्यूह में फंसाने की चुनौती आई तो अभिमन्यु ने बिना किसी हिचकिचाहट के व्यूह में प्रवेश करने का निर्णय लिया. उन्होंने अपनी वीरता और कौशल से चक्रव्यूह के छह द्वार तो पार कर लिए लेकिन सातवें द्वार पर वह फंस गए.

चक्रव्यूह से बाहर क्यों नहीं निकल पाए अभिमन्यु
कौरवों ने युद्ध के नियमों को ताक पर रखते हुए अभिमन्यु को चारों ओर से घेर लिया. द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, और अन्य कौरव योद्धाओं ने मिलकर अभिमन्यु पर आक्रमण किया. 16 साल अभिमन्यु ने अकेले ही उनसे मुकाबला किया लेकिन आखिर में वो वीरगति को प्राप्त हुए.

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अभिमन्यु की मृत्यु एक दुखद घटना थी लेकिन उनकी वीरता और साहस को आज भी याद किया जाता है. उन्होंने यह साबित कर दिया कि उम्र मायने नहीं रखती अगर मन में साहस और हौसला हो तो किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है.

अभिमन्यु की कहानी हमें यह सिखाती है-

  • कभी हार नहीं मानो: अभिमन्यु ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और वीरता से मुकाबला किया.
  • ज्ञान का महत्व: अभिमन्यु ने अपनी माता के गर्भ में ही ज्ञान प्राप्त किया, जिससे पता चलता है कि ज्ञान किसी भी रूप में और किसी भी समय प्राप्त किया जा सकता है.
  • साहस और आत्मविश्वास: अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में प्रवेश करने का साहस दिखाया जो आत्मविश्वास का प्रतीक है.
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चक्रव्यूह का ज्ञान होने के बावजूद उसमें कैसे फंसे अभिमन्यु?

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