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Margashirsha Month Rules: मार्गशीर्ष माह में धार्मिक नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है. इस दौरान कुछ रोजाना इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं का निषेध होता है और अन्न दान करने की विशेष महिमा है. साथ ही, धरती पर शयन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस माह में इन नियमों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
करौली. मार्गशीर्ष माह का हिंदू धर्म में विशेष और सर्वोच्च महत्व माना गया है. इस महीने को भजन-कीर्तन, दान और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इसे श्रीकृष्ण का महीना भी कहा जाता है, क्योंकि इसी माह में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य ज्ञान दिया था. मान्यता है कि इस महीने में कुछ नियमों का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है. वहीं कुछ ऐसे कार्य भी बताए गए हैं जिन्हें मार्गशीर्ष माह में भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
इस माह में खानपान में भी विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है और यथासंभव सात्त्विक भोजन करने पर जोर दिया गया है. कुछ वस्तुओं के सेवन को शास्त्रों में पूर्णतः निषेध बताया गया है.
वस्त्रों का दान भी अत्यंत पुण्यदायी माना गया
करौली के आध्यात्मिक गुरु पं. हरिमोहन शर्मा बताते हैं कि इस महीने में प्रत्येक व्यक्ति को भजन-कीर्तन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि इस माह को स्वयं श्रीकृष्ण ने अपना महीना कहा है. शर्मा के अनुसार, मार्गशीर्ष का सबसे उत्तम कार्य ‘अन्न दान’ है. इस मौसम में आने वाली नई फसलों का सामर्थ्य अनुसार दान करना चाहिए. इसके साथ ही ऊनी वस्त्रों का दान भी अत्यंत पुण्यदायी माना गया है.
जो लोग इस महीने में भजन-कीर्तन और जप-तप करते हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. ऐसे व्यक्तियों को सात्त्विक भोजन करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. इस महीने में जितना संभव हो, पृथ्वी पर शयन करने का प्रतिपादन किया गया है, क्योंकि इसका आध्यात्मिक रूप से विशेष महत्व बताया गया है.
खानपान के संदर्भ में भी कुछ वस्तुओं के सेवन पर निषेध है. मार्गशीर्ष माह में भूलकर भी बैंगन, फूलगोभी और मूली जैसी सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन्हें तामसिक प्रवृत्ति वाला माना गया है. आध्यात्मिक गुरु पं. हरिमोहन शर्मा का कहना है कि इस महीने में मन को पवित्र रखना, विकारों से दूर रहना और अधिकाधिक भजन-कीर्तन में समय लगाना चाहिए.
मार्गशीर्ष में भूलकर भी न लगाएं सरसों का तेल
सरसों के तेल के उपयोग को इस महीने में विशेष रूप से निषेध बताया गया है. न तो इसे भोजन में प्रयोग करना चाहिए और न ही शरीर पर लगाना चाहिए. इसके स्थान पर तिल के तेल का उपयोग श्रेष्ठ माना गया है. सरसों का तेल तामसिक प्रवृत्ति का माना जाता है. पंडित शर्मा बताते हैं कि सरसों की फसल की फलियां दक्षिण दिशा की ओर झुकती हैं, और जिन वस्तुओं का झुकाव दक्षिण दिशा की ओर होता है, उनका उपयोग शास्त्रीय रूप से इस महीने में अशुभ माना गया है.
With more than 6 years above of experience in Digital Media Journalism. Currently I am working as a Content Editor at News 18. Here, I am covering lifestyle, health, beauty, fashion, religion, career, politica…और पढ़ें
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