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आदिवासी समुदाय के लोग सर्दियों में लाल चींटी का अचार जरूर बनाते हैं. जिसे औषधीय गुणों के कारण खाया जाता है. इसमें मौजूद फॉर्मिक एसिड और प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं. जिससे सर्दी-खांसी और बुखार से बचाव होता है. इसे लाल मिर्च, अदरक, लहसुन और तेल के साथ पीसकर तैयार किया जाता है, जो शरीर को अंदर से गर्माहट देता है.
जमशेदपुर: सर्दियों के मौसम में जहां आम लोग मूली, गाजर, नींबू और मिक्स वेज अचार का सेवन करते हैं, वहीं ग्रामीण आदिवासी समुदाय एक बिल्कुल अनोखा और पारंपरिक अचार बनाते हैं. चींटी का अचार. यह अचार सामान्य अचारों की तरह नहीं होता, बल्कि इसे औषधीय गुणों के कारण खास पहचान मिली है. जंगलों में पाए जाने वाले पेड़ों पर चींटियों के बड़े-बड़े जून (घोंसले) होते हैं, जिनमें लाल चींटियों की संख्या काफी अधिक होती है. ग्रामीण इन चींटियों को सावधानी से निकालकर एकत्र करते हैं और इसी से तैयार होता है सर्दियों का यह खास अचार.
ग्रामीण दुर्गी सोरेन के अनुसार, लाल चींटियों का अचार खाने से सर्दी, जुकाम, खांसी और हल्का बुखार तक होने की संभावना कम हो जाती है. इन चींटियों के शरीर में पाया जाने वाला फॉर्मिक एसिड और प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. इसी वजह से यह अचार आदिवासी इलाकों में दवा की तरह इस्तेमाल किया जाता है. सर्द हवाओं में जब शरीर कमजोर पड़ता है, तब यह अचार ऊर्जा और गर्माहट देने का काम करता है.
कैसे बनता है यह अनोखा अचार?
सबसे पहले गांव के लोग जंगलों में जाकर पेड़ों पर बने चींटियों के जून ढूंढते हैं. इन्हें सावधानी से खोलकर अंदर मौजूद लाल चींटियों को इकट्ठा किया जाता है. इसके बाद इन चींटियों को साफ करके हल्की धूप में सुखाया जाता है ताकि इनमें मौजूद नमी पूरी तरह दूर हो जाए. धूप में सुखाने से चींटियां कुरकुरी हो जाती हैं और अचार बनाते समय अच्छी तरह पिसती भी हैं,
अब लाल मिर्च, अदरक और लहसुन को अलग से कूटकर उसका पेस्ट बनाया जाता है. इसके बाद सूखी हुई चींटियों को भी मिक्सी या सिल-बट्टे पर पीस लिया जाता है. जब यह मिश्रण एक समान हो जाए, तब इसमें नमक और हल्दी मिलाई जाती है. कुछ परिवार इसे थोड़ा सरसों का तेल डालकर भी तैयार करते हैं ताकि अचार में अलग सुगंध और स्वाद आए. तैयार अचार को कांच या मिट्टी के जार में भरकर कुछ घंटों के लिए धूप में रख दिया जाता है, जिससे सारी सामग्री अच्छे से सेट हो जाती है.
फायदे क्यों है खास?
चींटी का अचार शरीर को अंदर से गर्म रखता है, इसलिए सर्दियों में इसका सेवन अत्यंत लाभकारी माना जाता है. यह इम्यूनिटी बढ़ाता है, पाचन शक्ति मजबूत करता है और सर्दी-जुकाम से बचाता है. ग्रामीण समुदाय आज भी इसे प्राकृतिक दवा की तरह मानते हैं. स्वाद में तीखा, खट्टा और बेहद अनोखा यह अचार ग्रामीण जीवन की परंपरा और प्रकृति से जुड़ी उनकी समझ का बेहतरीन उदाहरण है.
मीडिया में 6 साल का अनुभव है. करियर की शुरुआत ETV Bharat (बिहार) से बतौर कंटेंट एडिटर की थी, जहां 3 साल तक काम किया. पिछले 3 सालों से Network 18 के साथ हूं. यहां बिहार और झारखंड से जुड़ी खबरें पब्लिश करता हूं.
मीडिया में 6 साल का अनुभव है. करियर की शुरुआत ETV Bharat (बिहार) से बतौर कंटेंट एडिटर की थी, जहां 3 साल तक काम किया. पिछले 3 सालों से Network 18 के साथ हूं. यहां बिहार और झारखंड से जुड़ी खबरें पब्लिश करता हूं.
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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-ant-pickle-tribal-winter-food-cheenti-ka-achar-boosts-immunity-in-cold-and-cough-local18-ws-kl-9868389.html
