Mercury In 9th House: जन्म कुंडली में हर ग्रह का एक खास रोल होता है और जब बात आती है बुध ग्रह की तो यह ग्रह बुद्धि, बात करने का तरीका, सीखने की क्षमता, गणित, व्यापार और तार्किक सोच से जुड़ा होता है, अगर बुध मजबूत हो तो व्यक्ति बेहद समझदार, बातों में निपुण और हर स्थिति में अपनी बुद्धिमानी से रास्ता निकालने वाला बन जाता है. अब अगर यह बुध नौवें भाव में बैठ जाए, तो इसके प्रभाव और भी दिलचस्प हो जाते हैं. नौवां भाव धर्म, भाग्य, यात्रा, उच्च शिक्षा और अध्यात्म से जुड़ा होता है. यह भाव बताता है कि इंसान कितना भाग्यशाली है, उसकी सोच कितनी ऊँची है और उसे जीवन में किस तरह के मौके मिल सकते हैं. जब बुध यहां बैठता है, तो यह व्यक्ति को ज्ञान की खोज में आगे बढ़ाता है. ऐसा इंसान अक्सर दुनिया को समझने, नई चीज़ें सीखने और दूसरों को सिखाने में दिलचस्पी रखता है, लेकिन अगर बुध कमजोर हो जाए, तो यही गुण उलटे असर डाल सकते हैं व्यक्ति भ्रमित सोच रख सकता है या जीवन में दिशा तय नहीं कर पाता. चलिए, अब जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं न्यूमेरोलॉजिस्ट हिमाचल सिंह से कि बुध के नौवें भाव में आने से व्यक्ति के जीवन पर कौन-कौन से सकारात्मक और नकारात्मक असर पड़ते हैं और किन उपायों से इसे बेहतर बनाया जा सकता है.

जन्म कुंडली में बुध के प्रभाव
बुध नौवें भाव में सकारात्मक प्रभाव
1. तेज़ दिमाग और तार्किक सोच:
इस स्थिति में जन्मा व्यक्ति बहुत समझदार होता है. वह हर बात को तर्क के साथ देखता है और किसी भी चीज़ को आंख मूंदकर नहीं मानता. पढ़ाई, लेखन, रिसर्च और जर्नलिज़्म जैसे क्षेत्रों में ऐसे लोग बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं.
2. धर्म और ज्ञान में रुचि:
बुध अगर नौवें भाव में मजबूत हो, तो व्यक्ति को धर्म, दर्शन और अध्यात्म की गहरी समझ होती है. वह अपने जीवन में सही और गलत के बीच फर्क समझकर चलता है. ऐसे लोग अपने ज्ञान से दूसरों को भी प्रेरित करते हैं.
3. विदेश यात्रा के योग:
बुध नौवें भाव में बैठकर व्यक्ति को विदेश यात्रा या उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाने के मौके देता है. कई बार ऐसे लोग भाषाओं के विशेषज्ञ बन जाते हैं या विदेशी भाषाएँ सीखने में तेज़ होते हैं.
4. कर्म में विश्वास:
यह स्थिति व्यक्ति को कर्मशील बनाती है. वह भाग्य पर भरोसा तो रखता है, लेकिन मेहनत करना नहीं छोड़ता. ऐसे लोग भाग्य से ज़्यादा अपनी मेहनत पर विश्वास करते हैं.
5. संवाद और शिक्षा का वरदान:
ये लोग अच्छे शिक्षक, लेखक या सलाहकार बन सकते हैं. उनकी बातों में वजन होता है, और लोग उनकी राय को गंभीरता से लेते हैं.
बुध नौवें भाव में नकारात्मक प्रभाव
1. अति-तर्कशीलता:
अगर बुध नीच या पाप ग्रहों से पीड़ित हो, तो व्यक्ति हर बात में तर्क ढूंढता है. इससे रिश्तों में दूरी आ सकती है, क्योंकि सामने वाला उसकी हर बात को ‘बहस’ समझने लगता है.
जन्म कुंडली में बुध के प्रभाव
2. विश्वास की कमी:
कमजोर बुध व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से असंतुलित कर सकता है. ऐसा इंसान किसी भी धर्म या आस्था पर भरोसा नहीं रख पाता और ज़िंदगी में भ्रम की स्थिति में रहता है.
3. अत्यधिक जिज्ञासा से भ्रम:
कभी-कभी बुध नौवें भाव में व्यक्ति को इतना जिज्ञासु बना देता है कि वह हर चीज़ जानना चाहता है. इस वजह से उसका ध्यान एक दिशा में टिक नहीं पाता।
4. विदेश में परेशानियाँ:
अगर बुध के साथ राहु या केतु का मेल हो, तो विदेश यात्रा या शिक्षा में बाधाएँ आती हैं. व्यक्ति नए माहौल में एडजस्ट करने में मुश्किल महसूस कर सकता है.
बुध नौवें भाव के उपाय
1. बुधवार को हरा रंग पहनें:
यह बुध को खुश करने का आसान तरीका है. हरा कपड़ा, रुमाल या रिंग पहनने से बुध की ऊर्जा बढ़ती है.
2. गणेश जी की पूजा करें:
बुध ग्रह का संबंध भगवान गणेश से है. गणेश जी की आराधना से बुध के दोष कम होते हैं.
3. तुलसी का पौधा लगाएँ:
रोज़ तुलसी को जल चढ़ाना बुध को मजबूत करता है और मन को शांति देता है.
4. एमराल्ड (पन्ना) पहनें:
यदि ज्योतिषी सलाह दे तो बुध की मजबूती के लिए पन्ना धारण किया जा सकता है. ध्यान रहे, यह केवल योग्य सलाह के बाद ही पहनें।
5. बुध मंत्र का जाप करें:
“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः”- इस मंत्र का 108 बार जाप बुधवार के दिन करना शुभ फल देता है.